Prayagraj: ट्रांसजेडर समुदाय के लिए 10 साल में कितने शौचालय बने, इलाहबाद हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
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Prayagraj: ट्रांसजेडर समुदाय के लिए 10 साल में कितने शौचालय बने, इलाहबाद हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Allahabad High Court: इलाहबाद हाईकोर्ट में ट्रांसजेडर समुदाय (Transgender Community) के लोगों के लिए अलग शौचालय (Toilets) की मांग को लेकर जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है. हाइकोर्ट ने सरकार ने इस मामले में जवाब मांगा और पूछा कि 10 साल में टॉयलेट बने हैं. 

Transgender (File Photo)

प्रयागराज: ट्रांसजेंडर समुदाय (Transgender Community) के लोगों को अपने सार्वजनिक जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में सबसे बड़ी समस्या आती है शौचालय (Toilets) के इस्तेमाल को लेकर कि वो किस शौचालय का इस्तेमाल करें. उत्तर प्रदेश के इलाहबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी के लिए स्वास्थ्य अधिकारों और पब्लिक प्लेसेज में अलग टॉयलेट की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और प्रयागराज नगर निगम से इसको लेकर जवाब मांगा है. सरकार से पूछा गया है कि इस दिशा में अब तक क्या कदम उठाए गए हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी. 

लॉ इंटर्न्स ने दाखिल की याचिका
दरअसल, ह्यूमन राइट्स लीगल नेटवर्क के साथ मानवाधिकार का प्रशिक्षण ले रहे विभिन्न विश्वविद्यालयों के लॉ इंटर्न्स ने जनहित याचिका दायर की है. बताया जा रहा है लॉ इंटर्न्स ने प्रयागराज के पांच पब्लिक प्लेसेज पर जाकर फैक्ट फाइंडिंग की. इसमें नगर निगम, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, शिक्षा निदेशालय में उन्हें ट्रांसजेंडर के लिए कोई व्यवस्था नहीं मिली. पीआईएल में आरोप है कि साल 2014 में आए नालसा जजमेंट का 9 साल बाद भी पालन नहीं हुआ है. इसके तहत थर्ड जेंडर को संविधान में दिए गए सभी अधिकार मिलेंगे. इसके तहत शौचालय बनाने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय निकायों को आदेश दिए गए थे.

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प्रयागराज में थर्ड जेंडर की आबादी 8000 से ज्यादा है. नालसा जजमेंट के दस साल बीत जाने के बाद भी ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के लिए कुछ नहीं किया गया है. इससे हर स्तर पर उन्हें अपमानजनक स्थितियों और भेदभाव का सामना करना पड़ता है. यह याचिका विद्युम शुक्ला, ईशी द्विवेदी, विशाल द्विवेदी, दर्शन गुप्ता, शशांक दीक्षित, कुलदीप कुमार और आशीष रंजन की ओर से दाखिल की गई है. जस्टिस एमसी त्रिपाठी और जस्टिस गजेंद्र कुमार की डिविजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई.

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