Chandrayaan 3 Mission: भारत का चंद्रयान 3 चांद की सतह पर उतर चुका है. अब इस मिशन का आगे का काम शुरू होगा, जिसमें प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर घूमकर रसायनों का पता लगाएगा. साथ ही चंद्रमा के अनसुलझे रहस्यों को ढूंढने की कोशिश करेगा.
Trending Photos
लखनऊ: भारत के चंद्रयान 3 ने बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर पर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग (Chandrayaan-3 soft landing on moon) कर इतिहास रच दिया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का नतीजा है भारत चांद पर पहुंच चुका है. अब इस मिशन के अगले 14 दिन बेहद अहम हैं. इस दौरान प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर घूमेगा और चंद्रमा के अनसुलझे रहस्यों को ढूंढने की कोशिश करेगा. रोवर चांद पर रसायन का पता लगाएगा.
Chandrayaan-3 Mission:
Chandrayaan-3 ROVER:
Made in India
Made for the MOON!The Ch-3 Rover ramped down from the Lander and
India took a walk on the moon !More updates soon.#Chandrayaan_3#Ch3
— ISRO (@isro) August 24, 2023
इसरो ने ‘एक्स’ पर लिखा
चंद्रमा की सतह पर पहुंचे चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल से रोवर ‘प्रज्ञान’ बाहर निकल आया है. इसकी जानकारी इसरो ने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल से दी. इसरो ने लिखा, ‘चंद्रयान-3 रोवर : ‘मेड इन इंडिया - मेड फॉर मून’. चंद्रयान-3 का रोवर लैंडर से बाहर निकल आया है और भारत ने चांद की सैर की.’
चांद पर विश्लेषण करेगा रोवर
जानकारी के मुताबिक प्रज्ञान रोवर का वजन 26 किलोग्राम है और उसमें 6 पहिए हैं. इसरो ने बताया था कि रोवर को चांद की सतह पर एक पैनल को रैंप की तरह इस्तेमाल करते हुए उतारा जाएगा. लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) का कुल वजन 1,752 किलोग्राम है. दोनों को चंद्रमा के वातावरण के अध्ययन के उद्देश्य से एक चंद्र दिवस (करीब 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालन के लिए डिजाइन किया गया है. हालांकि, इसरो के अधिकारियों ने इसके अगले चंद्र दिवस तक काम करते रहने की संभावना से इनकार नहीं किया है. रोवर इस दौरान चांद की सतह पर घूमकर वहां मौजूद रसायन का विश्लेषण करेगा.
रोवर अपने पेलोड के जरिए चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा, ताकि रासायनिक संरचना की जानकारी प्राप्त की जा सके और चंद्रमा की सतह के बारे में ज्ञान को और बढ़ाने के लिए खनिज संरचना का अनुमान लगाया जा सके. ‘प्रज्ञान’ में भी एक पेलोड है जो चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना का पता लगाएगा. इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने इससे पहले कहा था, ‘लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद रैंप और लैंडर के अंदर से रोवर को निकालने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इसके बाद एक के बाद एक सभी प्रयोग होंगे. इन सभी को चंद्रमा पर सिर्फ एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन में पूरा करना होगा.’
Watch: चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर से बाहर आया प्रज्ञान, शुरू कर दिया ये बड़ा काम