Kanpur: सावन के महीने के बीच कानपुर के चिड़ियाघर में बंद एक बंदर ने मांस-मदिरा छोड़ दी, मगर उसका स्वभाव आज भी मुसीबत बना हुआ है. डॉक्टर शराब की लत छुड़ाने के बाद उसका स्वभाव बदलने की कोशिश कर रहे हैं.
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कानपुर: बचपन में गांव में जब मदारी बंदर को लेकर आता था तो बच्चे उत्सुक हो जाते थे और बड़े चाव से बंदर का खेल देखते थे. सर्कस में भी आपने कई बंदरों को करतब दिखाते या सड़क किनारे खेल दिखाते देखा होगा, मगर उत्तर प्रदेश के कानपुर में मिर्जा नाम का एक ऐसा है जो कभी मांस और मदिरा यानी शराब को शौकीन हुआ करता था. डॉक्टरों की कड़ी मेहनत के बाद उसने शराब तो छोड़ दी लेकिन अभी भी कटखना स्वभाव नहीं गया है. महिलाओं को देखकर वो आज भी उग्र हो जाता है. आपको भले ही यह बंदर अजीबोगरीब लग रहा हो, मगर जब चिड़ियाघर के कर्मचारियों को इसके बारे में पता चला तो वे भी हैरान रह गए थे.
मिर्जापुर से पकड़ा गया बंदर
जानकारी के मुताबिक इस बंदर को यूपी के मिर्जापुर से पकड़ा गया था. वहां ये बंदर एक तांत्रिक के पास रहता था, जो इसे खाने में मांस और शराब का सेवन कराता था, तभी से यह शराब का आदी हो गया. इसी बीच तांत्रिक की मौत हो गई. बंदर को जब शराब नहीं मिली तो इसने शहर में कोहराम मचा दिया. इस बंदर ने करीब 250 लोगों को काटा था. एक व्यक्ति की तो इसके काटने से मौत भी हो गई थी. शहर में इस बंदर का नाम कलुआ था. लोग डर के साए में जीने को मजबूर थे. इसके बाद इस बंदर को पकड़ने की योजना बनाई गई. कड़ी मेहनत के बाद इसे पिंजरे में कैद किया गया. वहां से इसे कानपुर के चिड़ियाघर भेज दिया गया.
बताया जा रहा है यह बंदर आज भी कानपुर के चिड़ियाघर में बंद है. इस बंदर को अकेले रखा गया है. छह साल अकेले रहने के बाद भी इसके स्वभाव में बदलाव नहीं हुआ है. इसे उम्र भर पिंजरे में ही रखने का फैसला लिया गया है. यहीं पर इसका नाम मिर्जा रखा गया. चिड़ियाघर में बंदर को खाने के लिए हरी सब्जियां, चने और फल दिए जाते हैं. डॉक्टरों की कड़ी मेहनत के बाद इसकी शराब की लत तो छूट गई, मगर स्वभाव पहले जैसा ही है. आज भी यह महिलाओं को देखकर उग्र हो जाता है और उन्हें पकड़ने की कोशिश करता है. डॉक्टर अब इसका कटखना स्वभाव दूर करने की कोशिश कर रहे हैं.
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