Navratri 2022: श्रीलक्ष्मण के बेटे से जुड़ी है मां चंद्रिका के इस मंदिर की कहानी, जानें मान्यता
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Navratri 2022: श्रीलक्ष्मण के बेटे से जुड़ी है मां चंद्रिका के इस मंदिर की कहानी, जानें मान्यता

Navratri 2022 Maa Chandrika Devi Mandir Lucknow: नवरात्रि के पर्व पर मां चंद्रिका के दर्शन करने के लिए दोगुनी संख्या में भक्त यहां आते हैं. आइए जानते हैं क्या है मां चंद्रिका देवी के इस मंदिर की स्थापना कैसे हुई. 300 साल पुरानी है कहानी..

Navratri 2022: श्रीलक्ष्मण के बेटे से जुड़ी है मां चंद्रिका के इस मंदिर की कहानी, जानें मान्यता

Navratri 2022: यूपी की राजधानी में, गोमती नदी के तट पर स्थित है चंद्रिका देवी मंदिर. यह लखनऊ के सबसे पुराने और सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है. दुर्गा मां को समर्पित यह मंदिर करीब 300 साल पुराना बताया जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर की महिमा अपरंपार है. मंदिर के पीठासीन देवता की मूर्ति को एक चट्टान से उकेरा गया है और इसमें तीन सिर बने हैं. बताया जाता है कि इस प्रसिद्ध हिन्दू पवित्र स्थल का उल्लेख शास्त्रों, स्कंद और कर्म पुराण में भी है. साल भर भक्तों का तांता यहां लगा रहता है. 

नवरात्रि में लगता है भव्य मेला
नवरात्रि और अमावस्या जैसे पर्वों पर मां चंद्रिका के दर्शन करने के लिए दोगुनी संख्या में भक्त आते हैं. दूर-दूर से श्रद्धालु मां के दर्शन मात्र यहां पहुंचते हैं. साथ ही, इन दिनों हवन और मुण्डन की रस्में भी यहां होती हैं. नवरात्रि के पर्व पर यहां भव्य मेले का आयोजन होता है और दीपावली जैसा माहौल देखने को मिलता है. 

मनोकामना पूरी होने पर चढ़ाई जाती है चुनरी
मां चंद्रिका देवी से मन्नत मांगने वाले भक्त मनोकामना पूरी होने पर वापस आते हैं और मां को चुनरी और प्रसाद चढ़ाकर मंदिर परिसर में घंटा बांधते हैं. 

लक्ष्मण जी के पुत्र से जुड़ी है कहानी
एक आध्यात्मिक समय के लिए चंद्रिका देवी अच्छी जगहों में से एक है. ऐसा कहा जाता है कि श्रीलक्ष्मण के बड़े बेटे - लखनऊ के संस्थापक राजकुमार चंद्रकेतु एक बार अश्वमेघ घोड़े के साथ गोमती नदी पर से गुजर रहे थे. रास्ते में अंधेरा हो गया. इस वजह से उन्हें घने जंगल में जाकर विश्राम करना पड़ा. सुरक्षा के लिए चंद्रकेतु ने देवी मां से प्रार्थना की. कुछ ही पल में चंद्रमा की शीतलता छा गई और देवी मां उनके सामने प्रकट हुईं. इसी के साथ उन्होंने सुरक्षा का आश्वासन दिया. पौराणिक कथाएं कहती हैं कि चंद्रिका देवी का मूल मंदिर उसी युग में बना. हालांकि, फिर 12वीं सदी में आक्रमणकारियों ने यह मंदिर ध्वस्त कर दिया.

करीब 300 वर्षों पहले फिर बना मंदिर
यह भी कहा जाता है कि करीब 250-300 साल पहले स्थानीय ग्रामीणों ने जंगलों से घिरी यह खूबसूरत जगह देखी. अगले दिन, एक व्यक्ति को माता की प्रतिमा का पता लगा और फिर उसे वहां स्थापित किया गया, जहां अभी मंदिर बना है. बाद में, मू्र्ति के इर्द-गिर्द मंदिर का निर्माण किया गया और तबसे ही मां चंद्रिका के स्वरूप की पूजा होने लगी. इस स्थान का नाम माही सागर तीर्थ भी पड़ा.

घटोत्कच के बेटे पर बरसी थी मां चंद्रिका देवी की कृपा
एक और किंवदंती यह कहती है कि जब घटोत्कच के बेटे बर्बरीक को सत्ता हासिल करनी थी, तब श्रीकृष्ण ने तीर्थ करने के लिए बताया था. कहा जाता है कि मां चंद्रिका देवी का मंदिर ही वह स्थान है, जहां सर्वोच्च शक्ति प्राप्त करने के लिए लगातार 3 वर्षों तक माता की पूजा की थी.

 

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