वेस्ट यूपी में जाट-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत नहीं होने देगी बीजेपी, लोकसभा चुनाव के पहले खेला नया दांव
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1599527

वेस्ट यूपी में जाट-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत नहीं होने देगी बीजेपी, लोकसभा चुनाव के पहले खेला नया दांव

UP Politics : दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है. यूपी में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सियासी मिजाज हमेशा पार्टियों के लिए चुनौती भरा रहा है. मिशन 2024 की तैयारी में जुटी बीजेपी की बात करें तो पार्टी यहां विपक्ष के जाट और मुस्लिम गठजोड़ को हर हाल में तोड़ना चाहती है.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह एवं आरएलडी चीफ जयंत चौधरी

अजीत सिंह/लखनऊ : उत्तर प्रदेश बीजेपी मिशन 2024 की तैयारियों में जुट गई है. पार्टी ने अभी से सियासी पिच तैयार करनी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में बीजेपी पश्चिम उत्तर प्रदेश में विपक्ष के जाट और मुस्लिम समीकरण को किसी भी तरह मजबूत होने नहीं देना चाहती. इसके लिए यूपी भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा मुजफ्फरनगर में स्नेह मिलन सम्मेलन आयोजित करेगा. इन सम्मेलनों के जरिए बीजेपी मुस्लिमों को अपनी ओर आकर्षित करना चाहती है. तय रणनीति के मुताबिक पश्चिम उत्तर प्रदेश के अलग-अलग लोकसभा सीट में आयोजित होने सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद संजीव बालियान अल्पसंख्यक वर्ग के बड़े नेताओं के साथ मंच साझा करेंगे. भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष की अगुवाई में एक लाख लोगों को सम्मेलन में बुलाया जाएगा. यह एक तरह से बीजेपी का शक्ति प्रदर्शन भी होगा. सम्मेलन का आयोजन 15 मार्च से 22 मार्च के बीच होगा. 

खतौली के उपचुनाव से मिला सबक
पिछले विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने जाट मुस्लिम गठजोड़ को नाकाम कर दिया था. लेकिन 2022 में खतौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में रालोद ने बीजेपी को पटखनी दी. खतौली में जयंत चौधरी ने जाट, गुर्जर, दलित और मुस्लिम समीकरण बनाकर बड़ी जीत की नींव रखी थी. इससे बीजेपी की मुजफ्फरनगर और आसपास के जिलों में बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है. बीजेपी को आशंका है कि 2024 में अगर खतौली मॉडल सफल रहा तो यहां नुकसान संभव है.
लोकसभा चुनाव में भी लगा था झटका
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इसी इलाके में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था.  सहरनपुर (Saharanpur), बिजनौर (Bijnor),नगीना, मुरादाबाद (Moradabad)और अमरोहा संसदीय सीट बीजेपी हार गई थी जबकि मेरठ (Meerut) और मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में बहुत कम अंतर से उसे जीत मिली थी.  यही वजह है कि पार्टी यहां अल्पसंख्यक वोटों में सेंध लगाना चाहती है. 

यह भी पढ़ें: UP Politics: समाजवादी पार्टी ने लखनऊ और गोरखपुर समेत 5 जिलों में बदले जिलाध्यक्ष, जानें किसे मिली जिम्मेदारी?

समीकरण साधने की कोशिश
हालांकिं, 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट में आने वाली पांच में से 3 विधानसभा सीटों पर चुनाव हार गई. पार्टी जिन 2 सीटों पर जीती थी उनमें खतौली सीट भी शामिल थी.  2022 में हुए उपचुनाव में खतौली सीट पर जिस तरह से जाट-मुस्लिम-गुर्जर-दलित मतदाता एक साथ आए हैं, उससे सपा-आरएलडी गठबंधन के हौसले बुलंद हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों में चार समुदाय के मतदाता सबसे अधिक हैं. 

WATCH: प्रयागराज केस में उस्मान के एनकाउंटर को पत्नी ने बताया झूठा, बताई मुठभेड़ वाली रात की पूरी कहानी

Trending news