उत्तराखंड: धारचूला की व्यास घाटी में पैदल आना-जाना बंद, घर पहुंचने के लिए देने पड़ रहे इतने हजार रुपये
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उत्तराखंड: धारचूला की व्यास घाटी में पैदल आना-जाना बंद, घर पहुंचने के लिए देने पड़ रहे इतने हजार रुपये

जहां लोग 500 रुपये मे घर पहुंच जाते थे, वहीं आज घर आने और जाने के लिए 6200 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं.

धारचूला के व्यास घाटी में दुर्गम रास्तों से गुजरते लोग

देहरादून/धारचूला: प्राकृतिक आपदा इंसान को मजबूर कर देता है. ऐसी ही मजबूरी बीते कई दिनों से धारचूला में व्यास, चैदांस और दारमा घाटी के लोगों के साथ है. इन इलाकों के लोग पिछले 1 जुलाई से आवाजाही करने के लिए मुश्किल हालातों का सामना करने को मजबूर हैं. जहां लोगों की आवाजाही पर प्रशासन ने नजंग और लखनपुर के पास पाबंदी लगा रखी है. नजंग और लखनपुर के पास पैदल मार्ग पूरी तरह से ध्वस्त है. आलम यह है कि इस घाटी के दर्जन भर गांवों के लोगों को हेलीकॉप्टर से लाया और ले जाया जा रहा है.

  1. प्रशासन ने नजंग और लखनपुर के पास पाबंदी लगा रखी है. 
  2. नजंग और लखनपुर के पास पैदल मार्ग पूरी तरह से ध्वस्त है.
  3. मौसम और हेलीकॉप्टर के भरोसे ही संभव है अपने घर पहुंचना.

जान हथेली पर रख आ-जा रहे हैं लोग
लंबे दिनों से व्यास और दारमा घाटी में रहने वाले दो दर्जन से अधिक गांवों के लोग खराब रास्ते की वजह से जान हथेली पर रखकर आवाजाही कर रहे हैं. टूटे रास्तों से हजारों की आबादी आए दिन जान जोखिम में डाल रहे हैं. प्रशासन ने भी खराब रास्तों को देखते हुए नजंग से लखनपुर तक पैदल आवाजाही में पूरी तरह रोक लगा दी है. सरकार ने आपदा प्रभावितों के लिए हेलीकॉप्टर सेवा शुरू की है, लेकिन महंगी हवाई सेवा होने के कारण प्रभावित लोग इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं.

घर पहुंचने के लिए देने पड़ रहे 6200 रुपये
व्यास घाटी के लोगों का कहना है कि पैदल रास्तों से आवाजाही कर जहां वे लोग 500 रुपये मे घर पहुंच जाते थे. वहीं आज उनको घर आने और जाने के लिए 6200 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. इतनी महंगी सेवा के वावजूद भी समय पर हेली सेवा नहीं मिल रही. सरकार से इन लोगों का कहना है कि उनके गांव जाने के लिए सरकार पैदल मार्ग दुरुस्त कर दे, जिससे वो आसानी से अपने गांव आ-जा सकें. हेलीकॉप्टर सेवा के हालात ये हैं कि लोगों को तीन दिन के इंतजार के बाद भी हेलीकॉप्टर की सुविधा नहीं मिल पा रही है.

दोनों तरफ से लिया जा रहा है किराया
स्थानीय विधायक का कहना है कि प्रशासन ने खराब रास्तों से लोगों की आवाजाही पर रोक लगाई है. वहीं हेली से भी लोगों को दोनों तरफ का किराया लिया जा रहा है, जो उच्च हिमालयी क्षेत्र की घाटियों में रहने वाले लोगों के साथ अन्याय है. वहीं पिथौरागढ़ प्रशासन का कहना है कि इन घाटियों में फंसे लोगों को हेलीकॉप्टर द्वारा नि:शुल्क धारचवूला लाया जा रहा है. वहीं बूंदी मे किरजी मेले का आयोजन आगामी सितंबर माह में होना है. इसमे जाने वाले लोगों से हेलीकॉप्टर द्वारा दो तरफा किराया लिया जा रहा है. स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे हैं. इसके लिए उनके द्वारा शासन से दिशानिर्देश मांगे गए हैं.

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धारचूला के उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाले लोग आसमानी आफत के चलते पिछले दो महीनों से पूरी तरह से प्रभावित हैं. जहां उनके पैदल रास्ते खत्म हो गए हैं, वहीं उनको समय से हेलीकॉप्टर सेवा भी नहीं मिल पा रही. सरकार ने यहां हेलीकॉप्टर सेवा मुहैया कराई है, लेकिन महंगी हवाई सेवा के चलते आपदा प्रभावितों के लिए ये सफेद हाथी ही साबित हो रही है. सरकार आने वाले समय में घाटी के लोगों की आवाजाही कैसे सुगम बनाकर लोगों को राहत देती है ये देखना होगा.
 

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