जस्टिस वीके दीक्षित की रिपोर्ट में ये कहा गया है कि 22 और 23 सितबंर 2017 को BHU में हुई हिंसा की घटनाएं सुनियोजित थीं. छात्रों के आंदोलन की आड़ में बाहरी लोगों ने BHU की छवि धूमिल करने की कोशिश की.
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झूठ का अंधेरा कितना भी गहरा हो लेकिन सच की रोशनी उसे एक दिन समाप्त कर देती है . आपको याद होगा 25 अप्रैल को हमने.....बनारस हिंदू University में हुई हिंसा पर जस्टिस वीके दीक्षित कमेटी की रिपोर्ट का विश्लेषण किया था. इसके बाद हमारी टीम वाराणसी गई और वहां जाकर हमने BHU के छात्रों और शिक्षकों से बातचीत की, ताकि BHU को बदनाम करने के इस एजेंडे की, Inside Story देश के सामने आ सके.
जस्टिस वीके दीक्षित की रिपोर्ट में ये कहा गया है कि 22 और 23 सितबंर 2017 को BHU में हुई हिंसा की घटनाएं सुनियोजित थीं. छात्रों के आंदोलन की आड़ में बाहरी लोगों ने BHU की छवि धूमिल करने की कोशिश की. जब ये हिंसक आंदोलन चलाया जा रहा था तब देश के तमाम बुद्धिजीवी एक खास एजेंडे के तहत BHU को बदनाम करने की कोशिश कर रहे थे. देश के कई मीडिया चैनल इस हिंसक घटना के ज़रिए अपने कैमरों की भूख शांत कर रहे थे . बुद्धिजीवी पत्रकारों को इस हिंसक आंदोलन में एक अच्छी Visual Story दिखाई दे रही थी . जिसमें आग थी और आज़ादी के नारे लगाने वाले गैंग के भड़काने वाले भाषण थे .
दुख की बात ये है कि देश के कई मीडिया चैनल ऐसे लोगों की मदद कर रहे थे. हालांकि ज़ी न्यूज़ ने इस पूरे मामले का सच देश के सामने रखा. और अब यही बात आज़ादी गैंग के लोगों को पसंद नहीं आ रही है. आजकल BHU में आज़ादी गैंग के लोग सक्रिय हो गये हैं और ये लोग हमारी सच्ची रिपोर्टिंग के खिलाफ़ नारेबाज़ी और पोस्टरबाज़ी कर रहे हैं. वैसे ये शुभ संकेत है, क्योंकि सत्य से उसे ही पीड़ा होती है जो झूठ के सहारे अपनी दुकानदारी चलाता है. आज़ादी गैंग के लोग नहीं चाहते थे कि हमारी टीम BHU के अंदर जाकर रिपोर्टिंग करे. क्योंकि इससे उनके एजेंडे का पर्दाफाश हो जाएगा. लेकिन हम रुके नहीं. ये रिपोर्टिंग देश के विश्वविद्यालयों और छात्रों के हितों से जुड़ी हुई है. इसे देखकर आपको समझ में आएगा कि किस तरह कुछ लोग विश्वविद्यालयों और छात्रों के दिमाग पर कब्ज़ा करके, अपनी राजनीति चलाते हैं.