Gupt Navratri के चौथे दिन मां आदिशक्ति को चढाएं ये चीज, मिलती है हर कष्ट से मुक्ति

नवरात्रि में प्रत्येक दिन शक्तिदात्री के अलग-अलग अवतारों की पूजा की जाती है. आज गुप्त नवरात्र का चौथा दिवस मां कुष्मांडा की आराधना का दिन होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी कुष्मांडा ने ही इस संसार की रचना की थी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 3, 2022, 06:08 AM IST
  • मा कुष्मांडा को पसंद है लाल पुष्प
  • समस्त कष्टों से मिलती है मुक्ति
Gupt Navratri के चौथे दिन मां आदिशक्ति को चढाएं ये चीज, मिलती है हर कष्ट से मुक्ति

नई दिल्ली: नवरात्रि में प्रत्येक दिन शक्तिदात्री के अलग-अलग अवतारों की पूजा की जाती है. आज गुप्त नवरात्र का चौथा दिवस मां कुष्मांडा की आराधना का दिन होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी कुष्मांडा ने ही इस संसार की रचना की थी. यही कारण है कि इन्हें सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदिशक्ति भी कहा जाता है. मां के इस स्वरूप को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है.

कहा जाता है कि जब दुनिया नहीं थी तब हर ओर अंधेरा व्याप्त था, तब देवी ने ही अपनी मंद-मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी. जिसके बाद से ही इन्हें देवी कुष्मांडा कहा गया.
मां कुष्मांडा अत्यंत ही तेजस्वी देवी हैं. उनकी अष्ट भुजाएं हैं. कमंडल, धनुष बाण, कमल पुष्प, अमृत कलश, चक्र एवं गदा अपनी भुजाओं में धारण किए हुए हैं और सिंह पर सवार हैं. मां कुष्मांडा सात्विक बलि से अत्यंत प्रसन्न होती हैं.

मा कुष्मांडा को पसंद है लाल पुष्प
मां कुष्माडा को पसंद हैं लाल पुष्प. इसलिए आज उन्हें लाल पुष्पों की माला अवश्य अर्पित करें.

समस्त कष्टों से मिलती है मुक्ति
देवी की आराधना करने से समस्त कष्टों से निवृत्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है. सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी मां कुष्मांडा ही हैं. मां का ये रूप पूरे ब्रह्मांड में शक्तियों को जागृत करने वाला है. कहा जाता है कि जब दुनिया नहीं थी तब हर ओर अंधेरा व्याप्त था, तब देवी ने ही अपनी मंद-मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी.

माता को क्या लगाएं भोग
इस दिन सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और मां कुष्मांडा का स्मरण करके उनको धूप, गंध, अक्षत, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा (कद्दू या सीताफल), फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें. इसके बाद मां कुष्मांडा को हलवा और दही का भोग लगाएं.

मां को मालपुआ बेहद पसंद है और संभव हो तो उन्हें मालपुए का भोग लगाएं. फिर उसे प्रसाद स्वरूप आप भी ग्रहण कर सकते हैं. इसके बाद उनके मुख्य मंत्र  कुष्मांडा देव्यै नमः का 108 बार जाप करें. पूजा के अंत में मां कुष्मांडा की आरती करें और अपनी मनोकामना उनसे व्यक्त कर दें.

यह भी पढ़िए: ओंठ या नाक के पास तिल वाले के जीवन पर हमेशा रहता है ये प्रभाव, होती है ये परेशानी

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.  

ट्रेंडिंग न्यूज़