नई दिल्ली: कहते हैं असली कलाकार वो है, जिसके लिए पर्दा गिरने के बाद भी तालियां बजती रहें, और ऐसे ही कलाकारों में से एक थे प्राण (Pran). भले ही आज वो इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी जबरदस्त एक्टिंग के चर्चे आज भी होते रहते हैं. 12 फरवरी, 1920 को दिल्ली के बल्लीमारां में जन्में प्राण अपने हर किरदार को एक अलग ही रूप दे दिया करते थे. हर कोई उनकी उम्दा अदाकारी का कायल हो जाता था.
पान की दुकान पर मिली प्राण को पहली फिल्म
प्राण को पर्दे पर तो हम सभी ने खूब देखा है और उनकी एक्टिंग पर खूब प्यार भी लुटाया है. जितना मजेदार उनका एक्टिंग करियर रहा, उतना ही दिलचस्प किस्सा उनका फिल्मों में आने का भी है. बात है तो 1938, लाहौर की. दरअसल, कहा जाता है कि प्राण को बहुत छोटी उम्र से ही सिगरेट पीने की लत लग गई थी. ऐसे में वह अक्सर पान की दुकान पर जाकर सिगरेट पीते थे. एक दिन पान की दुकान पर ही उनकी मुलाकात पटकथा लेखक वली मोहम्मद वली से हो गई.
प्राण को देखते रह गए थे वली
वली मोहम्मद उस समय अपनी एक पंजाबी फिल्म में खलनायक की भूमिका के लिए किसी नौजवान की तलाश में थे. तभी वली की नजर पान की दुकान पर खड़े प्राण पर पड़ी, और वह उन्हें घूरते ही जा रहे थे. कुछ देर बाद वली ने बात की और उन्हें एक छोटे से कागज पर अपना पता लिखकर दिया और मिलने को कहा.
हालांकि, दूसरी ओर प्राण साहब ने तो वली को और न ही उनके दिए हुए कागज के टुकड़ें को कोई तवज्जो दी. प्राण हंसे और मजाक समझकर अपने घर की ओर लौट गए.
प्राण को दिया फिल्मों का ऑफर
प्राण साहब वली से हुई मुलाकात को भूल चुके थे, लेकिन वली की नजरों में प्राण का चेहरा जैसे घर कर गया था. कुछ दिनों के बाद वह फिर से उसी पान की दुकान पर एक बार फिर से प्राण साहब से मिले और पूछा कि वह उनसे मिलने के लिए क्यों नहीं आएं. इस बार प्राण ने तमतमाते हुए उनसे पूछा, वह क्यों उनसे मिलना चाहते थे? तभी वली ने उनसे पूछ लिया, 'फिल्मों में काम करोगे?'
...और इस तरह मिल गई पहली फिल्म
वली की बात सुनकर प्राण साहब खामोश हो गए, उन्होंने ज्यादा तो कुछ नहीं कहा, लेकिन वली से मिलने के लिए राजी हो गए. आखिरकार वली और प्राण साहब की फिल्म को लेकर मुलाकात हुई. काफी बातचीत के बाद उन्होंने प्राण अपनी फिल्म में काम करने के लिए मना ही लिया, और फिल्म 'यमला जट' से शुरू हुआ प्राण का एक्टिंग करियर
होटल में भी करना पड़ा काम
प्राण करीब 20 फिल्मों में काम करने के बाद 1947 में बंटवारे के बाद पत्नी और एक साल के बेटे के साथ मुंबई आ गए. कहते है कि कुछ समय तक उन्हें फिल्मों में काम नहीं मिला, लेकिन पैसों की तंगी और घर चलाने के लिए उन्हें एक होटल में काम भी करना पड़ा. हालांकि, जल्द ही प्राण साहब को देव आनंद की फिल्म 'जिद्दी' में कास्ट कर लिया गया.
असल जिंदगी में भी प्राण खलनायक समझते थे लोग
प्राण को एक के बाद एक फिल्मों के ऑफर्स मिल रहे थे और उतनी ही लोगों में उनके लिए नफरत भी बढ़ती जा रही थी. दरअसल, प्राण को खलनायक की भूमिका के लिए खूब काम मिल रहा था और वह अपने हर किरदार में इतना डूब जाते थे कि असल जिंदगी में भी लोग उन्हें बुरा इंसान समझने लगे थे. शायद यही उनकी सफलता भी थी.
कहते हैं कि एक खलनायक की लोकप्रियता का अंदाजा ही इस बात से लगया जाता है कि लोग उससे कितनी नफरत करते हैं और प्राण इस परीक्षा में हमेशा खरे उतरे हैं.
अक्सर बुरा-भला कहते थे लोग
प्राण साहब ने अपने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि उनकी जिंदगी में एक वक्त वो भी आया था जब लोग उन्हें खूब बुरा-भला कहते थे. ये प्राण की अदाकारी का ही जादू था कि वह जब भी सड़क पर निकलते, लोग उनकी असल जिंदगी में भी बुरा शख्स मानकर 'बदमाश', 'लफंगा' और 'गुंडा' कहने लगते थे.
सबसे महंगे खलनायक थे प्राण
प्राण ने अपने लंबे करियर में हर तरह के पल देखे. 1960-70 का दशक ऐसा था जब प्राण इंडस्ट्री के सबसे ज्यादा फीस लेने वाले खलनायक बन चुके थे. उस समय उनसे ज्यादा फीस शशि कपूर और राजेश खन्ना ही लिया करते थे. प्राण ने अपने करियर में 362 फिल्मों में बहुत खूबसूरती से हर किरदार को पर्दे पर उतारा.
ये भी पढ़ें- Mumtaz and Jeetendra: जितेंद्र संग फ्लर्ट करना एक्ट्रेसेस को पड़ता था भारी, मुमताज ने सालों बाद किया ऐसा खुलासा