World Theatre Day 2024: जानिए हर साल क्यों मनाया जाता है विश्व रंगमंच दिवस? पढ़िए सालों पुराना इतिहास

World Theatre Day 2024: दुनिया भर में 27 मार्च को वर्ल्ड थिएटर डे (World Theatre Day) यानी विश्व रंगमंच दिवस मनाया जा रहा है. इसकी शुरुआत साल 1962 में हुई थी. अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान आईटीआई द्वारा की गई थी. आइए जानते है इसके इतिहास के बारे में.

Written by - Anu Singh | Last Updated : Mar 27, 2024, 09:00 AM IST
    • दुनिया भर में मनाया जा रहा वर्ल्ड थिएटर डे
    • इस मौके पर जानिए दिन का पूरा इतिहास
World Theatre Day 2024: जानिए हर साल क्यों मनाया जाता है विश्व रंगमंच दिवस? पढ़िए सालों पुराना इतिहास

नई दिल्ली: World Theatre Day 2024: 27 मार्च को दुनिया भर में विश्व रंगमंच दिवस यानी वर्ल्ड थिएटर डे मनाया जाता है. यह रंगमच के सभी कलाकारों के लिए सबसे खास दिन होता है. पूरे विश्व में रंगमंच को अपनी अलग पहचान दिलाने के लिए साल 1961 में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान ने इस दिन की नींव रखी थी. इस दिन दुनिया के कई देशों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रंगमंच या थिएटर से जुड़े हुए कलाकारों को सम्मानित किया जाता है.

थिएटर के प्रति जागरुकता के लिए होता है आयोजन

सिनेमा जगत के मनोरंजन के क्षेत्र के विस्तार से पहले पहले रंगमंच या थियेटर ही लोगों के लिए एकमात्र मनोरंजन का साधन हुआ करता था. वहीं सिनेमा के साथ ही थिएटर के प्रति लोगों में जागरुकता और रूची पैदा करने के लिए हर साल विश्व रंगमंच दिवस का आयोजन किया जाता है.

विश्व रंगमंच दिवस का इतिहास

इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिट्यूट ने साल 1961 में विश्व रंगमंच दिवस को मनाए जाने की शुरुआत की थी. इसके लिए हर साल इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिट्यूट की ओर से एक कांफ्रेंस का आयोजन किया जाता है. जिसमें दुनियाभर से एक रंगमंच के कलाकार का चयन किया जाता है, जो विश्व रंगमंच दिवस के दिन एक खास संदेश को सबके सामने रखता है. इस संदेश को लगभग 50 भाषाओं में अनुवाद करके दुनियाभर के अखबारों में छापा जाता है.

भारतीय रंगमंच कर्मी गिरीश कर्नाड को भी मिला मौका

बता दें कि सबसे पहले 1962 में फ्रांस के जीन काक्टे ने विश्व रंगमंच दिवस के दिन अपना संदेश दुनिया के सामने रखा था. वहीं भारत की बात की जाए तो साल 2002 में यह मौका मशहूर भारतीय रंगमंचकर्मी गिरीश कर्नाड को मिला था. बताया जाता है कि दुनियाभर में सबसे पहले नाटक का मंचन पांचवीं शताब्दी के शुरुआती दौर में एथेंस में हुआ था. 

कॉलेज और स्कूल स्टूडेंट्स फैला रहे जागरूकता 

फिलहाल भारत में रंगमंच को पसंद करने वाले लोग हर साल देश के कई शहरों में नाटकों का मंचन करते हैं. वहीं आज भी कई शहरों में समाज की कुरितियों को सामने लाने के लिए नाटक का मंचन किया जाता है. इसमें आज भी कई कॉलेज और विश्व विद्यालय के छात्र सामाजिक मुद्दों पर नुक्कड़ नाटक का मंचन करते रहते हैं.

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