Share Market में चुनाव के समय क्यों होती है उठा-पटक? 5 पॉइंट्स में समझें...

Share Market in Election:आम चुनाव के समय शेयर मार्केट में अक्सर उठा-पटक देखने को मिलती है. वोटिंग पैटर्न का भी शेयर मार्केट पर असर पड़ता है. इसके अलावा भी कई फैक्टर होते हैं. 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : May 16, 2024, 02:41 PM IST
  • नेता की छवि पर भी मार्केट टिका
  • घोषणा पत्र का भी प्रभाव पड़ता है
Share Market में चुनाव के समय क्यों होती है उठा-पटक? 5 पॉइंट्स में समझें...

नई दिल्ली: Share Market in Election: देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं. 20 मई को 5वें चरण की वोटिंग होनी है. वोटिंग के दौरान भी शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव देखा जाता है. बीते एक महीने में सेंसेक्स 2000 पॉइंट से ज्यादा गिर चुका है. ये पहली बार नहीं है, जब भी चुनाव आते हैं शेयर मार्केट में उठा-पटक होती ही है.

अमित शाह बोले- Buy कर लो
हाल ही में देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि मैं शेयर बाजार की चाल का अनुमान नहीं लगा सकता. लेकिन जब भी केंद्र में एक स्थिर सरकार बनती है, बाजार में तेजी देखी जाती है. मेरे हिसाब से BJP 400 से ज्यादा सीटें जीतेगी, एक स्थिर मोदी सरकार आएगी और बाजार में तेजी आएगी. 4 जून के पहले आप Buy कर लीजिए, फिर बाजार में तेजी आने वाली है.

ये हैं 5 मुख्य कारण 
चुनाव के दौरान निवेशकों की धड़कने बढ़ जाती हैं क्योंकि ये अनिश्चितता वाला समय है. विदेशी निवेशकों शेयर बाजार से पैसा निकालने लगते हैं. आइए, 5 पॉइंट्स में समझते हैं कि शेयर मार्केट में चुनाव के दौरान उठा-पटक क्यों होती है?

1. वोटिंग पैटर्न: चुनाव के दौरान वोटिंग पैटर्न शेयर मार्केट को प्रभावित करता है. जैसे भारत में इस बार बीते 4 में 3 चरणों में वोटिंग परसेंटेज कम हुआ है, इस वजह से शेयर बाजार भी लुढका. इसका कारण है कि निवेशकों को मौजूदा सरकार को लेकर अनिश्चितता है. शेयर मार्केट को कम वोटिंग में ये आशंका रहती है कि मौजूदा सरकार लौटेगी या नहीं, लौटेगी भी तो पहले जितनी मजबूत होगी या नहीं.

2. चुनावी घोषणा पत्र: राजनीतिक दलों द्वारा जारी किए जाने वाले चुनावी घोषणा पत्र भी शेयर मार्केट पर असर डालते हैं. इसे एक उदाहरण के जरिये समझें. मान लीजिए कि 'A' नाम की पार्टी ने देश में आर्थिक विकास लाने का वादा किया है. टैक्स छूट देने की बात कही है और उनकी नीतियां भी आर्थिक विकास को मजबूत करती हैं. अब 'A' पार्टी की जीतने की संभावना प्रबल होगी तो स्टॉक मार्केट में उछाल आएगा. 

3. सत्ताधारी दल की नीतियां: यदि कोई राजनीतिक दल 5 साल सत्ता में रहा है. उनके कार्यकाल में आर्थिक विकास हुए है, आर्थिक नीतियों पर वे लिबरल हैं और आगामी 5 साल के लिए भी उनके पास रोड मैप है. अब उनके जीतने की संभावना अधिक होती है तो शेयर मार्केट में वृद्धि होगी. लेकिन यदि इसी दल ने आर्थिक नीतियों पर कोई खास काम नहीं किया, बाजार के 5 साल अच्छे नहीं बीते, फिर भी इस पार्टी के जीतने की संभावना है तो शेयर मार्केट गिरेगा. 

4. नेता की छवि: शेयर मार्केट के लिए आगामी प्रधानमंत्री की छवि भी मायने रखती है. यदि किसी ऐसे व्यक्ति के पीएम बनने की संभावना है जो विदेशी निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है, तो शेयर बाजार में तेजी आती है. यदि किसी ऐसे व्यक्ति के पीएम बनने की संभावना होती है जो प्रभावशाली न हो, दूसरे देशों से संबंध अच्छे न हों या जिसकी संकुचित आर्थिक नीतियां हों तो शेयर मार्केट भी गिरता है. 

5. कौनसी इंडस्ट्री पर फोकस: यदि किसी ऐसी पार्टी की जीतने की संभावना है जो इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट में योगदान देगी, तो रियल एस्टेट इंडस्ट्री के स्टॉक्स में उछाल देखने को मिल सकती है. लेकिन कोई ऐसी पार्टी जीतती दिख रही है जो फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री पर लगाम लगाने वाली है तो फार्मा कंपनियों के शेयर्स में गिरावट दर्ज की जाती है. 

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