सोशल डिस्टेंसिंग के नये नियम, रिसर्च में अहम बातें आई सामने: जरूरी जानकारी

सोशल डिस्टेंसिंग सुनने में तो काफी बेहतर लगता है. लेकिन क्या हम और आप इस सोशल डिस्टेंसिंग नियम का सही-सही पालन करते हैं? ये सवाल इस लिए है, क्योंकि MIT के रिसर्च में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 4, 2020, 05:42 AM IST
    1. सोशल डिस्टेंसिंग के पालन का नया फॉर्मूला
    2. छींकने - खांसने से निकले कण 26 फीट दूर जा सकते हैं
    3. 6 फीट पर खड़े शख्स को भी संक्रमण का खतरा
सोशल डिस्टेंसिंग के नये नियम, रिसर्च में अहम बातें आई सामने: जरूरी जानकारी

नई दिल्ली: कोरोना के कहर से बचने के लिए हर कोई सभी तरह के जतन कर रहा है. भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन चल रहा है. तो वहीं खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कई दफा सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए कोरोना को हराने की बात पर जोर दिया है.

सोशल डिस्टेंसिंग को सफल बनाने का नया फॉर्मूला

अभी तक सोशल डिस्टेंसिंग पर हमने आपने यही सुना था की 3 फीट की दूरी बनाकर रखें. लेकिन अब एक नई रिसर्च कह रही है की कोरोना से बचना है तो 27 फीट की दूरी ज़रूरी है। क्या है ये रिसर्च आप ये समझिए.

छींकने - खांसने से निकले कण 26 फीट दूर जा सकते हैं
6 फीट पर खड़े शख्स को भी संक्रमण का खतरा 
अभी सोशल डिस्टेंसिंग के लिए 6 फीट का दायरा मानक है
छोटी सी बूंद भी लंबे समय तक हवा में रह सकती है
सोशल डिस्टेंसिंग के नियम में बदलाव ज़रूरी
कोरोना से बचना है तो सोशल डिस्टेंसिंग का दायरा बढ़ाएं
सोशल डिस्टेंसिंग का दायरा कम से कम 27 फीट रखें

(सोर्स :MIT)

इस मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के रिसर्च में और भी कई बातें सामने आई हैं.

आपको बता दें, विनाशकारी 1918 फ्लू महामारी की समीक्षा से पता चलता है कि सामाजिक गड़बड़ी जैसे आक्रामक उपाय अर्थव्यवस्था को मौजूदा कोरोनोवायरस संकट से उबरने में मदद करेंगे, ये नया अध्ययन के एमआईटी शोधकर्ता के अनुसार सामने आया है.

एमआईटी ने एक बयान में कहा, "महामारी अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप को नहीं रोकती: 1918 फ़्लू से साक्ष्य" (“Pandemics Depress the Economy, Public Health Interventions Do Not: Evidence from the 1918 Flu”) शीर्षक का अध्ययन 26 मार्च को सोशल साइंस रिसर्च नेटवर्क, MIT में पोस्ट किया गया था. विज्ञप्ति में कहा गया है कि बोस्टन और लॉवेल पिछली सदी के उन शहरों में से थे, जो आर्थिक रूप से अन्य शहरों की तुलना में आर्थिक रूप से संघर्षरत थे, जो सामाजिक भेद के साथ अधिक आक्रामक थे.

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निश्चित तौर पर MIT के इस रिसर्च से सोशल डिस्टेंसिंग के नये फॉर्मूले को समझने की आवश्यकता है. क्योंकि कोरोना जैसी खतरनाक महामारी से निपटने के लिए जागरुकता, संकल्प और संयम ही सबसे बेहतर तरीका है.

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