World Radio Day 2024: भारत में समय के साथ रेडियो में आए ये बदलाव, विश्‍व रेडियो दिवस पर जानें ये खास बातें

World Radio Day 2024:  रेडिया का अविष्कार साल 1895 में इटालियन भौतिक विज्ञानी गुगलेल्मो मारकोनी ने किया था. वह वायरलैस कम्यूनिकेशन सिस्टम को बनाने वाले पहले व्यक्ति थे. 

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Feb 13, 2024, 01:42 PM IST
  • 13 फरवरी को मनाया जाता है वर्ल्ड रेडियो डे
  • पाकिस्तान चले गए भारत के 3 रेडियो स्टेशन
World Radio Day 2024: भारत में समय के साथ रेडियो में आए ये बदलाव, विश्‍व रेडियो दिवस पर जानें ये खास बातें

नई दिल्ली: World Radio Day 2024: रेडियो हमेशा से ही आम लोगों के जीवन में मनोरंजन का साधन रहा है. ग्रामीण इलाकों में आज भी किसी सूचना या जानकारी प्राप्त करने के लिए लोग रेडियो का सहारा लेते हैं. भले ही आज हम छोटी-मोटी जानकारी के लिए मोबाइल फोने पर निर्भर हैं, लेकिन एक समय ऐसा था जब पल-पल की खबरों के लिए लोग कान लगाकर रेडियो को ध्यान से सुनते थे. दुनियाभर में लोगों को रेडियो का महत्व समझाने के लिए हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है. इस साल इसकी थीम 'रेडियो: सूचना देने, मनोरंजन करने और शिक्षित करने वाली एक सदी'(' Radio: A century of informing, entertaining and educating') है. 
 
रेडियो का इतिहास 
रेडिया का अविष्कार साल 1895 में इटालियन भौतिक विज्ञानी गुगलेल्मो मारकोनी ने किया था. वह वायरलैस कम्यूनिकेशन सिस्टम को बनाने वाले पहले व्यक्ति थे. आज के समय में रेडियो का इस्तेमाल समाचार सुनने से लेकर मनोरंजन तक के लिए किया जाता है. दुनियाभर में रेडियो के योगदान के इतिहास को देखते हुए साल 2010 में स्पेन रेडियो एकेडमी की ओर से 13 फरवरी को पहली बार विश्व रेडियो दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया. इसके बाद साल 2011 में UNESCO ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर पहली पर 13 फरवरी 2012 को अधिकारक रूप से विश्व रेडियो दिवस मनाया. 

भारत में रेडियो का इतिहास
भारत में रेडियो की शुरुआत 23 जुलाई साल 1927 को मुंबई और कोलकाता में हुई थी. साल 1930 में इसका राष्ट्रीयकरण किया गया. तब इसका नाम इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कार्पोरेशन पड़ा था. वहीं 8 जून 1936 में इसको 'ऑल इंडिया रेडियो' (All India Radio) का नाम दिया गया था. साल 1939 में ऑल इंडिया रेडियो की विदेश सेवा शुरू की गई. आजादी के समय भारत में 9 रेडियो स्टेशन नियमित प्रसारण करते थे, लेकिन 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद 3 रेडियो स्टेशन पाकिस्तान चले गए. 

साल 1956 में ऑल इंडिया रेडियो को आकाशवाणी नाम दिया गया. भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी रेडियो का काफी महत्व रहा है. साल1942 में गांधी जी ने रेडियो पर भारत छोड़ों आंदोलन का प्रसारण करवाया था. वहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस का 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दुंगा' का नारा भी रेडियो के जरिए देश के हर कोने-कोने तक पहुंचाया गया था.  

वर्तमान समय में भारत में रेडियो की भूमिका 
भारत में आज भी रेडिया का काफी महत्व है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो के जरिए ही अपने 'मन की बात' प्रोग्राम का प्रसारण करते हैं. इस साल जनवरी में उन्होंने अपने इस कार्यक्रम में रेडियो पर प्रसारित हो रहे छत्तीसगढ़ का लोकप्रिय कार्यक्रम 'हमर हाथी-हमर गोठ' की तारीफ भी की थी. इसके अलावा रेडियो में मनोरंजन के कई तरह के प्रोग्राम भी आते हैं. वहीं जो लोग अपने बिजनेस को बढ़ाना चाहते हैं वे रेडियो में इसका प्रचार भी करते हैं. रेडियो में कई तरह के पॉडकास्ट और इंटरव्यू कार्यक्रम भी किए जाते हैं. भारत के ग्रामई इलाकों में आज भी लोग समाचार सुनने के लिए रेडियो का इस्तेमाल करते हैं. 

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