कई मुद्दों पर इजरायल भारत के साथ
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कई मुद्दों पर इजरायल भारत के साथ

भारत को दुनिया के महान लोकतंत्र की संज्ञा देते हुए इजरायल ने कहा कि वह चाहता है कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बने।

यरुशलम : भारत को दुनिया के महान लोकतंत्र की संज्ञा देते हुए इजरायल ने कहा कि वह चाहता है कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बने। पिछले एक दशक में इजरायल पहुंचने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति शिमोन पेरेस ने कहा कि तेल अवीव पूरी रुचि और सावधानी से नई दिल्ली का अनुसरण कर रहा है।

 

पेरेस ने कहा, ‘हमारे लिए भारत सबसे पहले एक संस्कृति है। उसके बाद यह हमारे लिए धरती पर मौजूद महानतम लोकतंत्र है और उसके बाद आजादी में कमजोर हुए बिना गरीबी से उबरने की अविश्वसनीय उपलब्धि के तौर पर है।’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनने के भारत के प्रयासों का समर्थन करते हुए पेरेस ने कहा, ‘मैं कामना करता हूं कि भारत सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बने।’ पेरेस ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी को ‘ईश दूत’ की संज्ञा दी और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को ‘राजा’ कहा। उन्होंने कहा, ‘भारत का सौभाग्य है कि यहां दो महान और अविस्मरणीय नेता रहे। इनमें एक ईशदूत थे और दूसरे राजा थे। गांधी और नेहरू का संयोग बहुत असामान्य है।’

 

भारत और इजरायल के बीच 20 साल पहले राजनयिक संबंध शुरू होने के बाद से पेरेस दो बार भारत की यात्रा कर चुके हैं। कृष्णा ने पेरेस को ‘सामर्थ्यवान राजनेता’ कहकर उनकी सराहना की। भारतीय विदेश मंत्री ने खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की भारत की आकांक्षा के लिए श्रेय इजरायल को दिया। मंत्री ने वर्ष 1992 और 2002 में पेरेस की भारत की यात्राओं का जिक्र करते हुए उन्हें दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत करने का एजेंडा बनाने का श्रेय दिया। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह समय दोनों देशों के नेताओं द्वारा आगामी दशक का एजेंडा तय करने का है। मेरा विचार है कि मैं इसी भावना से यहां आया हूं।’

 

कृष्णा आज प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू से मुलाकात करेंगे, साथ ही उप प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री अविग्दोर लीबरमैन से भी बातचीत करेंगे। सूत्रों के मुताबिक रक्षा क्षेत्र में साझेदारी व्यापक करने की भारत की आकांक्षाओं के बीच दोनों देशों के नेताओं की बातचीत में रक्षा, सुरक्षा, कृषि और विज्ञान-प्रौद्योगिकी में सहयोग का विषय प्रमुखता से रह सकता है। (एजेंसी)