CAA पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार: अदालत ने केंद्र से मांगा जवाब
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CAA पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार: अदालत ने केंद्र से मांगा जवाब

CAA Hearing in Supreme Court: CAA पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है. याचिकाओं में नागरिकता देने पर रोक लगाने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केंद्र से तीन हफ्तों में जवाब मांगा है.

CAA पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार: अदालत ने केंद्र से मांगा जवाब

CAA Hearing in Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में 19 मर्च को नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 (CAA) पर रोक लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की गई. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तीन हफ्तों के भीतर जवाब देने को कहा है. हालांकि, शीर्ष अदालत ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को प्रभावी बनाने वाले नियमों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. याचिकाकर्ताओं की कयादत करने वाले  वकीलों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला होने तक नियमों के क्रियान्वयन पर रोक लगाए जाने का आग्रह किया था.

केंद्र ने मांगा जवाब
दूसरी तरफ केंद्र ने अपनी ओर से कहा कि CAA किसी की नागरिकता नहीं छीनता. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ से केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें 20 आवेदनों पर जवाब देने के लिए चार हफ्ते का वक्त चाहिए. अदालत ने इस पर केंद्र को नोटिस जारी करते हुए आवेदनों पर तीन हफ्ते के भीतर जवाब मांगा. पीठ ने कहा, "हम प्रथम दृष्टया कोई विचार व्यक्त नहीं कर रहे हैं. हमें याचिकाकर्ताओं को सुनना है, हमें दूसरे पक्ष को सुनना है." मामले की अगली सुनवाई नौ अप्रैल को होगी.

क्या है CAA
याचिकाओं में गुजारिश की गई है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA), 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निपटारा किए जाने तक संबंधित नियमों पर रोक लगाई जानी चाहिए. संसद की तरफ से विवादास्पद कानून पारित किए जाने के चार साल बाद केंद्र ने 11 मार्च को संबंधित नियमों को अधिसूचित करने के साथ नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त कर दिया था. इस कानून में 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को तेजी से भारतीय नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है.

नहीं दी जाए नागरिकता
याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश सीनियर अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि केंद्र को बयान देना चाहिए कि सुनवाई लंबित रहने तक किसी को भी नागरिकता नहीं दी जाएगी. पीठ ने कहा, "वे हमें यह कहने के हकदार हैं कि हमें जवाब दाखिल करने के लिए थोड़ा वक्त दें. हम उन्हें आवेदनों पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ वक्त दे सकते हैं." याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा, "समस्या यह है कि अगर नागरिकता की कोई प्रक्रिया शुरू होती है और किसी को नागरिकता मिल जाती है, तो कई कारणों से इसे उलटना असंभव होगा और ये याचिकाएं निरर्थक हो जाएंगी. इसलिए, यह प्रक्रिया शुरू नहीं होनी चाहिए" 

नागरिकता के खिलाफ क्यों?
जब एक वकील ने पूछा कि अगर बलूचिस्तान में प्रताड़ित कोई हिंदू व्यक्ति दिसंबर 2014 से पहले भारत आया है और उसे यहां नागरिकता दी जाती है, तो इससे किसी और के अधिकार पर क्या प्रभाव पड़ेगा. जयसिंह ने जवाब में कहा, "क्योंकि उसे वोट देने का अधिकार मिल जाएगा." पीठ के यह कहने पर कि मामले में अगली सुनवाई नौ अप्रैल को होगी, जयसिंह ने कहा, "इस बीच, उन्हें बयान देने दीजिए कि वे किसी को नागरिकता नहीं देंगे."

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