Ladakh Lok Sabha Chunav 2024: भाजपा ने लद्दाख सीट से मौजूदा सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल का टिकट काट दिया है. यहां से ताशी ग्यालसन को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने लद्दाख के पार्टी संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ मतदाताओं को भी एक सियासी मैसेज देने की कोशिश की है.
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Ladakh Lok Sabha Chunav 2024: भाजपा ने लद्दाख सीट से मौजूदा सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल का टिकट काट दिया है. पार्टी ने इस बार नामग्याल की जगह इस सीट से ताशी ग्यालसन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. भाजपा ने मंगलवार को अपने लोकसभा उम्मीदवार की 14वीं लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें पार्टी ने एकमात्र कैंडिडेट लद्दाख संसदीय क्षेत्र से ताशी ग्यालसन के नाम का ऐलान किया है.
ताशी ग्यालसन लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी पार्षद हैं. पेशे से एडवोकेट ताशी ग्यालसन को लोकसभा प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने लद्दाख पार्टी संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ ही मतदाताओं को भी एक सियासी मैसेज देने की कोशिश की है.
कौन हैं ग्यालसन
ग्यालसन लिंगशेड निर्वाचन क्षेत्र से पार्षद हैं और साल 2020 में उन्हें 6वीं लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद, (LAHDC), लेह के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी पार्षद के रूप में चुना गया था. जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार गिरने के बाद वह भाजपा में शामिल हो गए. इससे पहले वह पीडीपी के सदस्य थे. भाजपा के एक सीनियर नेता ने कहा, "भाजपा में शामिल होने के कुछ समय बाद ही उन्हें पार्टी का महासचिव बना दिया गया...वह एक स्मार्ट पॉलिटिशियन हैं."
हालांकि, ग्यालसन को उम्मीदवार बनाने के बाद मौजूदा सांसद नामग्याल के समर्थक नाराज हो गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक लद्दाख इकाई के कुछ नेता भाजपा से इस्तीफे पर विचार भी कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक," लद्दाख में भाजपा नेताओं का एक वर्ग कहा है कि नामग्याल को निर्दलीय चुनाव लड़ना चाहिए." ऐसे में अगर नामग्याल निर्दलीय पर्चा भरते हैं तो भाजपा को भारी नुकसान हो सकता है.
लद्दाख के लोगों की क्या है मांगें
2014 और 2019 में लद्दाख लोकसभा सीट जीतने वाली भाजपा छठी अनुसूची के कार्यान्वयन की मांग को लेकर व्यापक विरोध के बाद यूटी में मुश्किल हालात में है. बता दें कि वहां के निवासियों और राजनीतिक संगठनों का एक वर्ग इकोलॉजिकल और स्ट्रटजिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में भूमि, भाषा और नौकरियों की रक्षा के लिए कानून की मांग कर रहे हैं.
मौजूदा वक्त में लद्दाख में दो स्वायत्त जिला परिषदें ( Autonomous District Councils ) हैं जिनके पास आर्थिक विकास, स्वास्थ्य देखभाल, एजुकेशन , भूमि उपयोग, टेक्शेसन और लोकल शासन के संबंध में निर्णय लेने का हक है. इसके बावजूद लद्दाख के लोग अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची पर जोर दे रहे हैं, जो स्वायत्त विकास परिषदों को आदिवासी आबादी की रक्षा और स्वायत्तता प्रदान करने के लिए भूमि, सार्वजनिक स्वास्थ्य और कृषि पर कानून बनाने की इजाजत देता है. इसके अलावा विधानसभा के साथ राज्य का दर्जा बहाल करने की भी मांग है.