UP News: 10 साल पहले हुई शादी लेकिन सामूहिक शादी योजना के लाभ के लिए किया ये कांड!
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UP News: 10 साल पहले हुई शादी लेकिन सामूहिक शादी योजना के लाभ के लिए किया ये कांड!

UP News: उत्तर प्रदेश के जिला गाजियाबाद में बीते साल हुए सामूहिक शादी योजना में बड़ी धांधली सामने आई है. लोकायुक्त के हुक्म पर हुई जांच में 150 से ज्यादा शादियां फर्जी पाई गई हैं.

UP News: 10 साल पहले हुई शादी लेकिन सामूहिक शादी योजना के लाभ के लिए किया ये कांड!

UP News: उत्तर प्रदेश के जिला गाजियाबाद में बीते साल हुए सामूहिक शादी योजना में बड़ी धांधली सामने आई है. लोकायुक्त के हुक्म पर हुई जांच में 150 से ज्यादा शादियां फर्जी पाई गई हैं, इनमें से कई शादी करने वाली लड़कियां ऐसी हैं जिनकी कई साल पहले ही शादी हो चुकी थी, उनकी भी दोबारा शादी करा दी गई. 

जबकि कुछ शादियां तो सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए हुई और फिर इस योजना से मिलने वाले पैसे हड़प लिए गए. इन सब शादियों में दलालों का बहुत बड़ी भूमिका है जो लोगों को पैसों का लालच देकर ये फर्जी शादियां कराते हैं और बाद में शादी से मिलने वाले पैसों का बंदरबाट करते हैं. इस मामले में लोकायुक्त के जांच के हुक्म पर गाजियाबाद जिलाधिाकरी ने करीब 800 पेज की गोपनीय रिपोर्ट लोकायुक्त लखनऊ को भेजी है.अब इस मामले में बड़ी कार्रवाई की उम्मीद है.

 3000 से ज्यादा हुई है सामूहिक शादियां 
गौरतलब है कि, गाजियाबाद में बीते 24 नवंबर को श्रम विभाग उत्तर प्रदेश ने  करीब 3000 से ज्यादा सामूहिक शादियां कन्या विवाह योजना के अंतर्गत कराई गई थी. इस शादी में ज्यादातर गरीब मजदूरों की बेटियों की शादी हुई थी. इस योजना के तहत शादी करने वाले बेटियों को सरकार की तरफ से 82 हजार की मदद मिलती हैं.  जिसमें से 65 हजार रूपए शादी के लिए अनुदान और 10 हजार रूपए दूल्हा दुल्हन के जोड़े ( कपड़ों ) के लिए और 7 हजार रूपए दूसरे जरूरी कामों के लिए मिलते हैं. हालांकि इसके लिए शर्त है कि उन श्रमिकों का श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन 356 दिन पुराना होना चाहिए. लेकिन इस मामले में वर्तमान डिप्टी लेबर कमिश्नर गाजियाबाद का कहना है कि उनके यहां के तैनाती से पूर्व का यह मामला है, जिसे प्रशासन ने जांच की है और जो भी जरूरी कागजात और डिटेल्स उनसे मांगी गई थी उनके विभाग ने प्रशासन को भेज दी है.

शिकायतकर्ता गजेंद्र शर्मा ने क्या कहा?
इस मामले का शिकायत करने वाले किसान नेता गजेंद्र शर्मा का कहना है कि उन्होंने इससे पहले गाजियाबाद के डीएम को मामले में शिकायत की थी और कई बार मामले से जुड़े ज्ञापन भी सौंपें थे. किसान नेता ने आरोप लगाया कि डीएम ने मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं की और उनकी शिकायत को दंत कथा बता दिया.  जिसके बाद उन्होंने लोकायुक्त, लखनऊ से इस मामले में शिकायत की. लोकायुक्त के हुक्म के बाद गाजियाबाद प्रशासन ने मामले की जांच शुरू की. 

शिकायतकर्ता ने कहा,  "175 मामले में से 171 मामलों की शिकायत सही पाई गई है. हमने खुद लोगों तक जाकर दलालों के नाम और फर्जीवाड़े की जानकारी पता की और पूरा जानकारी प्रशासन को दस्तियाब कराई. जिसमें  कई हैरान करने वाले मामले थे. कई लाभार्थियों को योजना का लाभ भी नहीं मिला लेकिन उनके रुपए दलालों और अफसरों ने आपस में बांट लिए. कई ऐसी शादियां भी कराई गई जिनकी शादी कई साल पहले हो चुकी है, जिसमें कुछ के जोड़ो के बच्चे भी हो चुके थे. वहीं, एक ही परिवार में उन लड़कियों की भी शादी कर दी गई जो लड़कियां वास्तव में थी नहीं सिर्फ कागजों पर ही यह शादियां कर पैसों का बंदरबाट कर लिया गया. दलालों ने गरीब मजदूरों को नाम और कागज इकट्ठे कर उन्हें योजना में रजिस्टर्ड कर उनके बच्चों की शादियां कराई लेकिन उन्हें पूरी रकम तक नहीं मिली. किसान नेता का कहना है कि इस मामले में गाजियाबाद डीएम को खुद ही संज्ञान लेकर जांच करानी चाहिए थी क्योंकि जब उनके द्वारा की गई महज 175 शिकायत में से 171 सही पाई गई है तो समझा जा सकता है कि कितना बड़ा घोटाला यहां किया गया होगा".

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