बाबा रामदेव की अकड़ ढीली करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने IMA प्रमुख को भी दिखाई उनकी औकात!
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बाबा रामदेव की अकड़ ढीली करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने IMA प्रमुख को भी दिखाई उनकी औकात!

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रमुख आर वी अशोकन ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर बिना शर्त अपनी टिप्पणी के लिए माफ़ी मांग ली है. इसके बाद भी कोर्ट ने IMA सदस्यों के आचरण को लेकर IMA पर सख्त टिप्पणी करते हुए उसे नसीहत दी है.  

आर वी अशोकन

नई दिल्ली: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के प्रमुख आर वी अशोकन ने ‘PTI’ को दिये एक इंटरव्यूज  में सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अपने बयान के लिए मंगलवार को शीर्ष अदालत में बिना शर्त माफी मांगी ली है, लेकिन कोर्ट ने अभी माफ़ी को स्वीकार नहीं किया है. 
 अशोकन ने 29 अप्रैल को समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू के दौरान पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में शीर्ष अदालत के फैसले पर तनकीद करते हुए कहा था कि यह ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए और इसके सदस्य चिकित्सकों के कुछ व्यवहार की आलोचना की है. 

गौरतलब है कि अशोकन ने 23 अप्रैल की सुनवाई के दौरान अदालत द्वारा की गई टिप्पणियों के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए यह बयान दिया था. शीर्ष अदालत ने उस दौरान कहा था कि जब यह एक उंगली पतंजलि पर उठा रहा है, तो बाकी चार उंगलियां आईएमए की तरफ है. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अमानउल्लाह की बेंच ने मंगलवार को अशोकन से कुछ कड़े सवाल पूछे और साफ़ कर दिया कि इस वक़्त शीर्ष अदालत उनके इस बिना शर्त माफीनामे को कबूल नहीं करेगी.

अदालत  में दाखिल एक हलफनामा में अशोकन ने कहा कि उन्हें अपनी इस गलती का एहसास हो गया है कि उन्हें इंटरव्यू  में इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए था, जब विषय अदालत के विचाराधीन था. 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल के अपने आर्डर में कहा था कि उसका मानना है कि आईएमए को पहले खुद को दुरूस्त करने की जरूरत है. पीठ ने कहा था, ‘‘एसोसिएशन के सदस्यों के कथित अनैतिक कृत्यों से जुड़ी कई शिकायतें मिली है. ये डॉक्टर उन पर मरीजों द्वारा जताये जा रहे भरोसे का गलत फायदा उठा रहे हैं, और मरीजों को न सिर्फ  महंगी दवाइयां लिख रहे हैं, बल्कि उपचार के दौरान टाले जा सकने वाली/अनावश्यक मेडिकल जांच भी करवा रहे हैं.’’ 

सुप्रीम कोर्ट आईएमए द्वारा 2022 में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें इलज़ाम लगाया गया था कि कोविड टीकाकरण और एलोपैथ को बदनाम करने का एक मुहिम चलाया गया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट पतंजलि के बाबा रामदेव से भी माफ़ी मंगवा चुकी है. 
पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने 24 अप्रैल को समाचार पत्रों में एक नई सार्वजनिक माफी भी प्रकाशित कराई थी. 

वहीँ, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भ्रामक विज्ञापनों को लेकर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है.  पीठ ने पतंजलि को हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह का वक़्त भी दिया, जिसमें पतंजलि उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों को वापस लेने के लिए उठाए गए कदमों का संकेत दिया गया है, जिसके लिए लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं. 

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