Jamia Millia Islamia Foundation Day: 102 साल मुकम्मल होने पर क्या बोलीं यूनिवर्सिटी की VC?
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Jamia Millia Islamia Foundation Day: 102 साल मुकम्मल होने पर क्या बोलीं यूनिवर्सिटी की VC?

Jamia Millia Islamia: देश और दुनिया में मशहूर जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी 102 साल की हो गई है. आज जामिया के फाउंडेशन डे के मौक़े पर यूनिवर्सिटी में कई तरह के प्रोग्राम्स किए जा रहे हैं. इस मौक़े पर स्टूडेंट काफ़ी ख़ुश नज़र आ रहे हैं.

Jamia Millia Islamia Foundation Day: 102 साल मुकम्मल होने पर क्या बोलीं यूनिवर्सिटी की VC?

Jamia Millia Islamia: देश और दुनिया में मशहूर जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी 102 साल की हो गई है. आज जामिया के फाउंडेशन डे के मौक़े पर यूनिवर्सिटी में कई तरह के प्रोग्राम्स किए जा रहे हैं. जामिया के फाउंडेशन डे के मौक़े पर स्टूडेंट में काफ़ी जोश नज़र आ रहा है. फाउंडेशन डे के मौक़े पर पूरी यूनिवर्सिटी में ख़ुसूसी सजावट की गई है. जामिया यूनिवर्सिटी ने गुज़रे 102 सालों में ना सिर्फ तालीमी मैदान में ख़ुद की पहचान बनाई बल्कि लाखों घरों में तालीम की रोशनी बिखेरी.  जामिया के बेहतरीन तालीमी निज़ाम के लिए National Institutional Ranking Framework (NIRF) 2022 की लिस्ट में जामिया मुल्क की तीसरी सबसे बेहतरीन यूनिवर्सिटी के तौर पर क़ाबिज़ हुई.

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वीसी ने दी मुबारकबाद
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के फाउंडेशन डे के मौक़े पर यूनिवर्सिटी की वीसी नजमा अख़्तर ने जामिया से बावस्ता तमाम लोगों को मुबारकबाद पेश की. उन्होंने कहा कि "आज जामिया 102 साल की हो गई है लेकिन इसके साथ ही हमारी ज़िम्मेदारियों में भी इज़ाफ़ा हुआ है. उन्होंने कहा है कि हमारी कोशिश जामिया को मज़ीद बेहतर बनाने की है, जो मौजूदा रैंकिंग है उसको और बेहतर करके आगे क़दम बढ़ाना है, हमें ऊपर जाना है, क्वालिटी वाइस हमेशा ऊपर रहना है".

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3 दिनों तक होंगे प्रोग्राम्स 

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के फाउंडेशन डे के मौक़े पर लगातार 3 दिनों तक प्रोग्राम्स का सिलसिला जारी रहेगा. 29 अक्टूबर को होने वाली तक़रीब में कई अहम शख़्सियात के शिरकत करने की उम्मीद ज़ाहिर की जा रही है. वहीं इस मौक़े पर जामिया की तारीख़ को तस्वीरों और आर्टिकल के ज़रिए दिखाने के लिए एक नुमाइश भी लगाई गई है. इसमें गांधी जी की तक़रीर से लेकर दूसरी अज़ीम शख़्सियात के आर्टिकल भी शामिल किए गए हैं.
तालीमी इदारों की तरक़्क़ी और यहां दी जानी वाली आला तालीम किसी भी मुल्क के नौजवानों का मुस्तक़बिल तय करती है. जामिया यूनिवर्सिटी भी इसी कड़ी को आगे बढ़ा रही है. इन गुज़रे हुए बरसों में जामिया ने कई उतार-चढ़ाव देखें लेकिन इस इदारे की बुनियाद रखने वाले बुज़ुर्गों ने जिस ख़्वाब को देखते हुए तालीमी पौधा लगाया था वह पेड़ बनकर अब पूरे मुल्क में तालीम की रौशन बिखेर कर रहा है.

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