Supreme Court on ED: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए ईडी को फटकार लगाई है. कोर्ट कानून का हवाला देते हुए कहा कि ईडी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकती है.
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Supreme Court on ED: सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को लेकर बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने आज यानी 16 मई को कहा, "एक विशेष कोर्ट के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद ईडी मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 19 (K) के तहत किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकता है."
जस्टिस अभय एस ओका और न्यायमूर्ती उज्जल भुइयां की पीठ ने क्या कहा?
जस्टिस अभय एस ओका और न्यायमूर्ती उज्जल भुइयां की पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा, "जब कोई मुल्जिम किसी समन के अनुपालन में कोर्ट के समक्ष पेश होता है, तो एजेंसी को उसकी हिरासत पाने के लिए संबंधित कोर्ट में आवेदन करना होगा. पीठ ने कहा, ''अगर मुल्जिम समन जरिए विशेष अदालत के समक्ष पेश होता है तो यह नहीं माना जा सकता कि वह हिरासत में है.''
अपने फैसले में पीठ ने कहा, "समन के बाद कोर्ट में पेश हुए मुल्जिम को जमानत के लिए आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है और इस प्रकार पीएमएलए की धारा 45 की दो शर्तें लागू नहीं होती हैं."
कोर्ट ने क्यों कहा इस शर्त पर दी जा सकती है जमानत
दोनों शर्तों में कहा गया है कि जब मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोई मुल्जिम जमानत के लिए आवेदन करता है, तो कोर्ट को पहले सरकारी अभियोजक को सुनने की इजाजत देनी होगी और जमानत सिर्फ तभी दी जा सकती है, जब वह संतुष्ट हो जाए कि मल्जिम दोषी नहीं है और रिहा होने पर उसके के जरिए इसी तरह का अपराध करने की आशंका नहीं है.
क्या है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस सवाल पर सुनाया गया था कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी मुल्जिम को जमानत के लिए दोहरे परीक्षण से गुजरना पड़ता है, यहां तक कि उन मामलों में भी जहां विशेष कोर्ट अपराध का संज्ञान लेती है.