Bhandara History: भंडारा करने की शुरुआत कब और कैसे हुई?
Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Dec 12, 2024
दान
भंडारा करना एक प्रकार का दान है, जिसमें सामर्थ्य लोगों द्वारा किसी भी शुभ अवसर पर गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाया जाता है.
हिंदू धर्म
इस परंपरा की शुरुआत हिंदू धर्म से हुई थी. जो आज के समय में हिंदू लोगों द्वारा काफी किया जाता है. चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर कब और कैसे हिंदू धर्म में भंडारा परंपरा की शुरुआत हुई.
विदर्भ के राजा स्वेत
धार्मिक मान्यता और कथा के अनुसार, विदर्भ के राजा स्वेत की आत्मा जब मृत्यु के बाद परलोक पहुंचा, तब उन्हें भूख लगी और उन्होंने भोजन मांगा, लेकिन किसी ने भी उन्हें खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया.
ब्रह्मा जी
तब भूख से व्याकुल राजा विदर्भ की आत्मा ने सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी से पूछा कि मेरा साथ ऐसा क्यों किया जा रहा है, मुझे खाने के लिए कुछ भी क्यों नहीं दिया जा रहा है.
दान करना
ब्रह्मा जी ने राजा विदर्भ को जवाब देते हुए कहा कि आप एक राजा होते हुए भी, अपने जीवन काल में कभी किसी को भोजन नहीं कराया, दान नहीं किया. इसलिए आपको परलोक में भोजन नहीं मिला है.
भंडारा की शुरुआत
इस बात को सुनने के बाद राजा विदर्भ अपने आने वाली पीढ़ी के सपनों में आकर उन्हें गरीब और जरूरतमंद लोगों को अन्न दान करने और भंडारा करने को कहा. तभी से हिंदू धर्म में भंडारा करने की शुरुआत हुई.
दिव्य धर्म यज्ञ
भंडारा कराने से जुड़ी एक और मान्यता यह भी है कि एक बार कबीर ने दिव्य धर्म यज्ञ किया जाता था. जिसमें तीन दिनों तक 18 लाख लोगों को भोजन कराया गया था.
महामारी
इसके अलावा एक और मान्यता जो भंडारा के शुरू होने से जुड़ी है. वो यह है कि एक समय लखनऊ में महामारी फैल गई थी.
कष्टों से मुक्ति
तब किसी व्यक्ति को सपना आया कि हनुमान जी के मंदिर में पूजा करें. इससे लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएगी. उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी.
श्रद्धा के मुताबिक योगदान
तब लोगों ने हनुमान जी के नए मंदिर में उनकी पूजा की और माहवारी कम होने के बाद, लोगों ने मिलकर भंडारा का आयोजन किया, जिसमें सबने अपनी श्रद्धा के मुताबिक योगदान किया.
Disclaimer
यहां प्रस्तुत की गई जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. Zee न्युज इसकी पुष्टि नहीं करता है.