नेपाल सीमा पर स्थित पश्चिम चंपारण के आखिरी गांव भिखना ठोरी की भौगोलिक स्थिति वहां के लोगों के लिए वरदान भी है और अभिशाप भी.
भिखनाठोरी गांव पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज जंक्शन से 35 किलोमीटर दूर नेपाल सीमा पर बसा हुआ है.
प्रकृति की गोद में बसा यह गांव एक पिकनिक स्पॉट है और यहां नए साल के मौके पर हजारों सैलानी पिकनिक मनाने आते हैं.
सैलानियों की यहां भीड़ तो आती ही है, कई फिल्मों की शूटिंग भी यहां हो चुकी है.
पहाड़ी इलाका होने के बाद भी यहां का भूजल स्तर काफी नीचे है. नरकटियागंज से यहां टैंकर से पानी आता है तब लोगों की प्यास बूझती है.
भिखनाठोरी गांव के लोग नेपाल के पानी पर ही निर्भर हैं और नेपाल से आने वाले पानी से ही खेतों में सिंचाई भी होती है.
भिखनाठोरी और नेपाल के बीच उजला पहाड़ी नाम से एक पहाड़ है, जहां पर दो तरह से पानी का स्रोत है.
उजला पहाड़ी के अंदर से मीठे पानी का प्रवाह हमेशा बना रहता है, जो पीने में बहुत ही उत्तम क्वालिटी का होता है.
अनेक औषधीय पौधे होने की वजह से यहां के पहाड़ से निकलने वाले पानी को पीने वालों को भूख बहुत तेज लगती है.