Mithila Chhath Puja: राम और सीता ने सबसे पहले की थी छठ पूजा, जानें यहां मिथिला में कैसे मनाया जाता है ये पर्व

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Oct 16, 2024

महापर्व छठ

राज्य बिहार की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाली मिथिला कई मायनों में देश-विदेश में विख्यात है. बिहार और यूपी में मनाए जाने वाले महापर्व छठ का बहुत महत्व है.

इस साल

छठ पूजा यहां के लोगों के लिए एक त्योहार नहीं है. बल्कि ये घर से दूर रहने वाले लोगों के लिए वापस घर आने का एक बहाना है. इस साल 5 से 8 नवंबर तक छठ पूजा है.

सबसे पहला छठ पूजा

बिहार में छठ पूजा बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. चलिए हम आपको बताते हैं कि सबसे पहले छठ पूजा किसने और कहां रखा था, मिथिला में इस त्योहार को कैसे मनाया जाता है?

छठ पूजा की परंपरा

मिथिला माता सीता का मायका है. सबसे पहले छठ पूजा की परंपरा यहीं शुरू हुई थी. जिसे माता सीता ने रखा था.

मुंगेर

माता सीता ने सबसे पहले बिहार के मुंगेर में गंगा तट पर छठ पूजा की थी. जहां आज भी माता सीता के चरण चिह्न मौजूद हैं.

सूर्य देव के सम्मान

माता सीता और भगवान राम ने छठ पूजा एक साथ 14 साल का वनवास काट, अयोध्या लौटने के बाद किया था. ये व्रत उन्होंने सूर्य देव के सम्मान में रखा था.

कार्तिक महीने

माना जाता है कि माता सीता और भगवान राम ने छठ पूजा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को किया था. इसलिए हर साल इसी तिथि को छठ पूजा किया जाता है.

ऋषि मुद्गल

माता सीता और भगवान राम ने ऋषि मुद्गल की ओर से बताई गई विधि के आधार पर तीन दिनों का कठिन व्रत रखते हुए, छठी मैया और सूर्य देव की पूजा की थी.

पूजा शुरुआत

छठ पूजा के पहले दिन की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. दूसरे दिन खरना होता है, इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है. फिर शाम में पूजा के दौरान कुछ मीठा खाती है.

छठ पूजा

इसके बाद, तीसरे दिन तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन किया जाता है.

आयु में वृद्धि

मान्यता है कि महापर्व छठ को विधि-विधान के साथ संपन्न करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है, संतान के आयु में वृद्धि होती है.

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