Gambling or Tradition: दिवाली की रात क्‍यों खेलते हैं जुआ? जानें कब से चली आ रही परंपरा

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Oct 24, 2024

दिवाली

अब कुछ ही दिनों में दिवाली आने वाली है. दिवाली के पर्व का छोटे से लेकर बड़े तक हर किसी को इंतजार होता है. हर कोई बड़े धूम-धाम से इस पर्व को मनाता है.

इस दिन दिवाली

इस साल दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस दिन लोग मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते है.

जुआ खेलने की परंपरा

लेकिन क्या आप जानते है दिवाली की रात कुछ लोग जुआ भी खेलते है. क्या आप इसके पीछे का कारण जानते है? आइए जानते है-

चौसर

दिवाली के दिन जुआ खेलने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. कहा जाता है कि कार्तिक मास की इस रात यानी दिवाली की रात भगवान शिव और माता पार्वती ने चौसर खेला था.

लक्ष्मी पूजा

दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है और जुआ खेलना लक्ष्मी को प्रसन्न करने का एक तरीका माना जाता है.

शुभ मुहूर्त

दिवाली की रात को शुभ मुहूर्त माना जाता है और जुआ खेलने से इस शुभ मुहूर्त का लाभ उठाया जा सकता है.

सामाजिक गतिविधि

जुआ खेलना दिवाली के दिन एक सामाजिक गतिविधि है. जिसमें परिवार और मित्र एकत्र होकर खेलते हैं.

पारंपरिक गतिविधि

जुआ खेलना दिवाली की एक पारंपरिक गतिविधि है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है.

जुआ खेलना शुभ

इस दिन जुआ खेलना शुभ होता है लेकिन पैसा लगाकर खेला जाए तो इसे अशुभ माना जाता है.

कई नकारात्मक परिणाम

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जुआ खेलने से कई नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं. जैसे कि आर्थिक नुकसान, संबंधों में तनाव और अन्य समस्याएं.

जुआ खेलना एक बुरी लत है, इसे खेलने से बचना चाहिए. ऐसी किसी प्रथा की पुष्टि ज़ी मीडिया नहीं करता है. यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है.

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