Groom Mare Ride: शादी में घोड़ी ही क्यों चढ़ता है दूल्हा, घोड़ा क्यों नहीं? जानें अनसुने किस्से

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Oct 01, 2024

दूल्हा

आपने ये देखा और नोटिस किया होगा कि शादी के समय दूल्हा घोड़ी पर बैठता है, वो घोड़े पर कभी नहीं बैठता. आखिर ऐसा क्यों?

वजह

दुल्हा शादी के समय घोड़ी पर ही बैठता है, इसके पीछे कई मान्यताएं और वजह है.

चंचल

कहा जाता है कि घोड़ी, घोड़े के तुलना में ज्यादा चंचल होती है. ऐसे में दूल्हे का घोड़ी पर बैठना इस बात का संकेत है कि दुल्हन ने अपने चंचल मन और बचकानापन पर काबू पा लिया है.

जिम्मेदारियों

दुल्हा का शादी के समय घोड़ी पर बैठना ये दर्शाता है कि वह अब अपने जीवन की जिम्मेदारियों को लेने में सक्षम और पूरी तरह तैयार है.

संभालना

दूल्हा शादी के समय घोड़ी पर ही इसलिए बैठता है, क्योंकि घोड़ी को घोड़े के तुलना में संभालना आसान होता है.

रिश्ते की डोर

मान्यता है कि जो दूल्हा शादी के समय घोड़ी की डोर को संभाल लेता है, वो अपनी पत्नी, परिवारजनों के रिश्ते की डोर और जिम्मेदारियों को भी बखूबी संभाल सकता है.

सौभाग्य और समृद्धि

बता दें, घोड़ी को शुद्धता, व्यावहारिकता, प्रेम, फर्टिलिटी, उदारता, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इसलिए शादी के समय दूल्हा घोड़ी पर ही चढ़ता है.

गुस्से

घोड़ा की तुलना अगर घोड़ी से की जाए तो ये घोड़ी से पहले गुस्से में आ जाता है. जिसे काबू करना आसान नहीं होता है.

बुद्धिमान और चालाक

कहा ये भी जाता है कि घोड़ी, घोड़े के तुलना में बुद्धिमान और चालाक होती है. इसलिए शादी के समय दूल्हा घोड़ी की ही सवारी करता है.

श्री राम और भगवान कृष्ण

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री राम और भगवान कृष्ण भी अपने विवाह के दिन घोड़ी पर ही सवार होकर आए थे.

सूर्य भगवान

कहा जाता है कि जो दूल्हा अपनी दुल्हन को घोड़ी पर सवार होकर शादी करने और साथ ले जाने के लिए आता है. उसे भगवान सूर्य आशीर्वाद देते हैं. दंपत्ति के वैवाहिक जीवन में मजबूती आती है.

शोभा

घोड़ी पर बैठने से दूल्हे का शौर्य, साहस और उच्चता प्रकट होती है. जिससे दूल्हे की शोभा बढ़ती है.

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