Samudra Manthan: समुद्र मंथन के दौरान क्षीर सागर से कुल कितने रत्न थे निकले? जानें यहां

Zee Odisha Desk
Jul 23, 2024

Mythology

पौराणिक धर्म-ग्रंथ में आपने कभी न कभी समुद्र मंथन के बारे में जरूर से सुना होगा.

Samudra Manthan

चलिए हम आपको समुद्र मंथन के दौरान निकले बहुमूल्य रत्नों के बारे में बताते हैं.

Poison

क्षीर सागर के मंथन के दौरान समुद्र से सबसे पहले विष निकला. जिसके ताप से संपूर्ण दृष्टि में हाहाकार मच गया था.

Lord Shiva

इस स्थिति को देखते हुए भोलेनाथ ने विष को ग्रहण कर लिया. जिससे उनका कंठ नीला पर गया. तभी से भोलेनाथ को नीलकंठ के नाम से भी जाना जाने लगा.

Kamadhenu

दूसरे मंथन में समुद्र से दिव्य गाय कामधेनु उत्पन्न हुई थी. जो अग्निहोत्र यज्ञ के सामान को उत्पन्न करती थी. इसलिए इसे ब्रह्मऋिशियों ने अपने साथ रखा.

White Horse

तीसरे समुद्र मंथन में घोड़ों का राजा कहें जाने वाला सफेद अश्व निकला. जिसे असुरों के राजा बली ने रख लिया.

White Elephant

चौथे समुद्र मंथन में चार दांत वाला सफेद हाथी ऐरावत निकला. जिसमें कैलाश पर्वत से भी ज्यादा चमक थी. इसे देवराज इंद्र ने अपने वाहन के तौर पर रख लिया.

Kaustubh Mani

पांचवें समुद्र मंथन के दौरान कौस्तुभ मणि निकला, जिसे भगवान विष्णु ने अपने हृदय पर धारण कर लिया.

Kalpavriksh

छटा दिव्य तत्व जो समुद्र मंथन के दौरान निकला वो था कल्पवृक्ष. इस इच्छा पुर्थी दिव्य वृक्ष को देवताओं ने स्वर्गलोक में लगा दिया.

Apsara Rambha

इसके बाद सातवीं रत्न जो मंथन के दौरान निकला वो थी रंभा नामक एक अप्सरा. इसे ब्रह्मांड की सबसे सुंदर नारी कहा जाता है.

Goddess Laxmi

रंभा के बाद समुद्र मंथन से ही देवी लक्ष्मी भी उत्पन्न हुई. धन-धान्य की मूरत देवी लक्ष्मी को देवता समेत असुर अपने पास रखना चाहते थे, लेकिन देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का वरण किया.

Madira

नौवा रत्न जो क्षीर सागर के मंथन के दौरान निकला वो था मदिरा. इस मदिरा को राक्षसों ने देवताओं की अनुमति से ग्रहण किया था.

Moon

दसवें रत्न में सागर से निकला वो था चंद्रमा. कहा जाता है कि चंद्रमा की उत्पत्ति भी क्षीर सागर से ही हुई थी. जिसे भोलेनाथ ने अपने मस्तिष्क पर रखा.

Parijat Tree

चंद्रमा के बाद समुद्र से पारिजात वृक्ष निकला. इस वृक्ष की खासियत थी कि इसे छूने मात्र से शरीर से थकान मिट जाती थी. पारिजात के वृक्ष को भी देवताओं ने ही रखा.

Panchajanya

इसके बाद समुद्र से मंथन के समय पांचजन्य शंख निकला. कहा जाता है कि इस शंख को विजय का तिलक माना जाता है. जिसे भगवान विष्णु ने अपने पास रखा.

Amrit Kalash

समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अपने हाथो में अमृत कलश लेकर निकले थे. कहा जाता है कि तभी से सृष्टि पर भगवान विष्णु के अंशावतार और आयुर्वेद का जन्म हुआ.

Amrit

इसके बाद ही क्षीर सागर से अमृत रत्न निकल, जिसे लेकर देवताओं और असुरों में जंग छिड़ गई. उस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप को धारण कर देवताओं को अमृत दे कर उन्हें अमर कर दिया था.

Disclaimer

यहां प्रस्तुत की गई जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. Zee न्युज इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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