Bhakhra Sindoor: बिहार में भखरा सिंदूर का क्या महत्व है, शादियों में इसी सिंदूर का क्यों होता है इस्तेमाल?
Zee Bihar-Jharkhand Web Team
May 20, 2024
Importance of Sindoor
सिंदूर का शादी-शुदा महिलाओं के जीवन में एक विशेष स्थान और महत्व है. हिंदू महिलाओं के जीवन में यह एक आस्था और विश्वास का प्रतीक है. मान्यता है कि महिलाएं सिंदूर अपने पति के रक्षा और लंबी आयु के लिए मांग में हमेशा भरी रहती है. ये उनके सुहागन होने का प्रतीक है.
Hindu Marriage
आम तौर पर शादियों में लाल सिंदूर का ही इस्तेमाल होता है, लेकिन बिहार में जब भी किसी हिंदू का विवाह होता है तो दूल्हा दुल्हन के मांग में सबसे पहले भखरा सिंदूर ही भरता है.
Married Women
सुहागन हर शुभ काम, तीज-त्योहार में इसी भरवा सिंदूर या गुलाबी सिंदूर को अपने मांग में भरती है, साथ ही देवी-देवताओं को भी यहीं सिंदूर लगाकर पूजा करती है.
Old Tradition
सुहागिनों की मांग में सिंदूर लगाना एक बहुत पुरानी परंपरा है, जो कि महाभारत और रामायण काल से चली आ रही है.
Types of Sindoor
सिंदूर कई रंग के होते है जैसे- लाल सिंदूर, गुलाबी सिंदूर, नारंगी सिंदूर और कत्थई सिंदूर आदि, लेकिन इन सभी में से नारंगी सिंदूर को ज्यादा शुभ और अच्छा माना जाता है.
Chemical Free
भखरा या नारंगी सिंदूर में केमिकल कम होने का चांस होता है. इसे सीधा सिंदूर के बीज को पीसकर बनाया जाता है. इसलिए ये बालों, त्वचा और स्कैल्प के लिए कम हानिकारक होता है. लाल और कत्थई सिंदूर के तुलना में आदि.
Hanuman Ji
भखरा या नारंगी सिंदूर के इस्तेमाल का यह भी कारण है कि एक बार हनुमान जी ने माता सीता से पूछा कि आप हमेशा अपने मांग में सिंदूर लगाकर क्यों रखती है, तब माता सीता ने बताया इससे प्रभु राम खुश होते है. इस बात को सुनने के बाद हनुमान जी अपने पूरे शरीर को नारंगी सिंदूर से रंग कर भरी सभा में राम जी के सामने चले गए थे.
Sindoordan
बिहार की शादियों में भखरा और नारंगी सिंदूर लगाने का एक कारण यह भी है कि अक्सर बिहार की शादियां रात में ही होती है और सभी विधि-विधान रस्मों को पूरा करते-करते सिंदूरदान तक सुबह होने को होता है. ऐसे में नारंगी सिंदूर सूर्य देव के ललाट और तेज का प्रतीक माना गया है. जिससे विवाहित जोड़ों के जीवन में खुशहाली आएगी.
Witness
भखरा और नारंगी सिंदूर को मांग में लगाने का एक कारण यह भी है कि ये पति और पत्नी के बीच में समर्पण का प्रतीक है. जिसके गवाह चांद, तारे और दोनों पक्षों के कुटुम्ब समेत सूर्य देव बने है.