भाई के लिए बहन करती है पीड़िया व्रत, क्या है पीड़िया व्रत, कब से होगा शुरू

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Nov 06, 2023

हमारे देश में हर रिश्ते के लिए अलग-अलग त्योहार है, और भाई बहन के लिए तो कई त्योहार मनाए जाते हैं.

पीड़िया का शुरुआत गोवर्धन पूजा के दिन से ही हो जाती है. गोवर्धन पूजा के गोबर से ही घर के दीवारों पर छोटे छोटे पड़ों के आकार में लोक गीतों के माध्यम से पीड़िया लगायी जाती है.

ऐसा ही एक महत्वपूर्ण पर्व है प्रत्येक वर्ष अगहन शुक्ल पक्ष एकम को मनाया जाने वाला व्रत पीड़िया है.

पौराणिक कथाओं में इसका महत्व प्राचीन काल से ही बताया जाता है. ये व्रत भाई के लिए किया जाता.

पीड़िया के व्रत में 24 घन्टा बिना पानी का रहा जाता है. इस व्रत में लड़कियां और औरत अपने भाईयों की खुशहाली, लंबी उम्र, सुख समृद्धि की कामना करती हैं.

इस वर्ष ये व्रत 15 दिसंबर को पड़ रहा है. इस व्रत में रात भर जागकर पीड़ियों के गीतों के माध्यम से ही पूजा का विधान है.

इस दौरान लड़कियां घर की बुजुर्ग महिलाओं से कार्तिक चतुर्दशी तक छोटी कहानी व कार्तिक पूर्णिमा से अगहन अमावस्या तक सुबह स्नान कर बड़ी कहानी सुनती है.

व्रत के दिन छोटी बड़ी दोनों कथाएं सुनती हैं. इस व्रत में नए चावल व गुड़ का रसियाव (गुड़ चावल का बिना दूध का खीर) जिसे व्रती दिन भर उपवास रहने के बाद शाम को 16 धान से चावल निकलाकर वो सोरहिया के साथ खीर खाती है.

व्रत के बाद सुबह तालाब या नदी, पोखरों में पीड़िया के पारंपरिक गीतों के साथ बड़े ही उत्साह से विसर्जित करती हैं.

साथ ही कन्‍यायें आपस में चिउड़ा और मिठाई एक दूसरे से आदान-प्रदान करती हैं फिर पारण कर व्रत तोड़ती हैं.

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