Darbhanga Maharaj: जानें बिहार के व्हाइट हाउस नाम से मशहूर, देश के सबसे पहले तितलीनुमा भूकंपरोधी इमारत का इतिहास...

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Jun 12, 2024

Bihar Cultural Capital

बिहार की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाली जगह दरभंगा हमेशा से ही अपनी वैभवता और समृद्धिता के लिए न केवल देश अपितु विदेशों तक मशहूर रही हैं.

Kameshwar Singh

यहां के दरभंगा महाराज के बारे में जितनी बात हो कम ही है. दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह ने अपने जिला और राज्य में एक से बढ़कर एक ऐसे काम किए, जिसकी वजह से उनका डंका विदेशों तक बजता था.

Darbhanga

दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह ने अपने जिले दरभंगा में एक ऐसे महल का निर्माण करवाया था. जिसे वहां बंगाल का प्रवेश द्वार कहा जाता था.

Nargona Palace

ये कोई और पैलेस नहीं बल्कि बिहार के जिला दरभंगा का नरगौना पैलेस है, जिसका निर्माण 1934 में आए भूकंप के बाद करवाया गया था.

Butterfly Shape

दरभंगा महाराज ने इस पैलेस को तितली नुमा आकार के रूप में बनवाया था, जो दो तरफ से देखने में एक जैसा लगता था. वहीं इस पैलेस का हर कमरा सीधा सामने की ओर ही खुलता था.

Last Palace

नरगौना पैलेस को देश के सबसे अमीर जमींदार का आखिरी पैलेस कहा जाता है.

Use of Concrete and Cement

दरभंगा राज परिवार से जुड़े करीबी लोगों का कहना है कि नरगौना पैलेस देश का पहला ऐसा पैलेस है, जिसका निर्माण सीमेंट के मजबूत खंबो और दीवारों से किया गया था, इसमें कंक्रीट की नींव रखी गई थी.

Railway Lines Inside Palace

देश में ये एकलौता पैलेस था, जिसके अंदर तक रेलवे लाइन बिछी हुए थी और वहां से ट्रेन आया-जाया करती थी. देश में ऐसा कोई दूसरा पैलेस न था और न ही है जिसकी परिसर तक रेलवे लाइन जाएं.

Naturally Fully Air Conditioned

ये देश का पहला ऐसा पैलेस है जिसकी बनावट प्राकृतिक रूप से पूर्णत वातानुकूलित है. इस दो मंजिला पैलेस का निर्माण 1941 में हुआ था, इसमें 89 कमरे थे जिसमें 14 महाराजा सुइट था.

40 Thousand Trees

आपको बता दें कि इस पैलेस में 40 हजार पेड़-पौधों को लगाया गया था, जिसमें चंदन समेत ऐसे पेड़ों की प्रजातियों को लगाया गया था जो कि पूरे एशिया में सिर्फ यहां ही पाया जाता था साथ ही यहां पर पेड़ों को लगाने के लिए मिट्टी भी विदेशों से मंगवाया गया था.

Bihar White House

बिहार का व्हाइट हाउस कहा जाने वाला इस नरगौना पैलेस में दो लिफ्ट की सुविधा थी. इसके साथ ही इस पैलेस की वैभवता को बनाने में इटली से मार्बल और बेल्जियम से ग्लास को मंगवाया गया था.

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