Mangalsutra: जानें कब और कहां से हुई मंगलसूत्र पहनने की शुरुआत

Mangalsutra

इसको तमिलनाडु में थिरू मंगलयम कहते हैं. वहीं, उत्तर भारत में इसे मंगलसूत्र कहा जाता है.

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कहा जाता है कि मंगलसूत्र पहनने से सुहागिन महिलाएं जीवन में हमेशा ऊर्जावान बनी रहती हैं.

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पंडित सुनील मिश्रा ने बताया कि 9 मनके से मंगलसूत्र बना होता है. इसको माता रानी के 9 स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है.

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पौराणिक मान्यता है कि मंगलसूत्र पहनने वाले को भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है.

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मान्यता है कि सुहागिन महिला मंगलसूत्र पहनती है, तो उसके वैवाहिक जीवन में सब अच्छा होता है.

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मंगलसूत्र को सुहाग की निशानी माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, शादी का प्रतीक मंगलसूत्र को माना जाता है.

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ज्योतिषविदों के अनुसार, ऐसा बताया जाता है कि मंगलसूत्र पहनने की शुरुआत सबसे पहले दक्षिण भारत से हुई थी.

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ज्योतिषविदों की मानें तो मंगलसूत्र में कई देवी-देवताओं का वास होता है. इतिहासकारों के अनुसार, छठीं शताब्दी में मंगलसूत्र पहनने की शुरुआत हुईं थी.

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पंडित सुनील मिश्रा के अनुसार, पत्नी और पति के पवित्र रिश्ते को मंगलसूत्र जोड़ता है. किसी लड़की की जैसे ही शादी हो जाती है. वह वैसे ही मंगलसूत्र पहनना शुरू कर देती हैं.

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