Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष में कैसे करें पितरों का तर्पण, जानें किस दिशा में मुंह कर दें जल?
Gangesh Thakur
Sep 28, 2023
Pitru Paksha 2023
29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक इस बार श्राद्ध पक्ष चलेगा. इस दौरान देश के विभिन्न स्थलों पर लोग अपने पितरों का पिंडदान या तर्पण करेंगे.
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हिंदू धर्म में तीन तरह के ऋृण बताए गए हैं जिसमें देव ऋृण, ऋषि ऋृण और पितृ ऋृण आते हैं. इसमें पितृ ऋृण को सबसे खास माना गया है.
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वैसे भी पितृपक्ष की शुरुआत भादो महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से हो जाती है और आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक चलती है.
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इस दौरान लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं. ताकि पितरों का उनपर और उनके परिवार पर आशीर्वाद बना रहे.
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पितरों को जलार्पण हमेशा अंगूठे के जरिए किया जाता है. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. क्योंकि अंगूठे वाला हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है.
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पितरों का तर्पण या पिंडदान हमेशा दक्षिण मुख से बैठकर करना चाहिए, इसमें काले तिल, कुशा, अक्षत और सफेद फूल का विशेष महत्व बताया गया है.
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पितरों का श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान हमेशा पवित्र नदी के तट पर करना चाहिए. ऐसा करने से पितरों को यह जल जल्दी मिलता है.
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वैसे आपको बता दें कि देव ऋृण से मुक्ति के लिए पूर्व की दिशा में मुख करके जल देने का विधान है. वहीं ऋृषि ऋृण के लिए उत्तर की दिशा में मुख करके जल दिया जाता है.
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जबकि पितृ ऋृण से मुक्ति के लिए दक्षिण दिशा में मुख करके पितरों को जल और तिल देने का विधान बताया गया है.
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इसके साथ ही बता दें कि देवताओं को एक अंजली जल, ऋषियों को दो अंजली जल और पितरों को तीन अंजली जल देने का वर्णन शास्त्रों में है.