सत्यानाशी का पौधा आमतौर पर हिमालय क्षेत्रों में पाया जाता है और इसके पौधे खाली जमीन पर आसानी से उग जाते हैं.
PUSHPENDER KUMAR
Oct 29, 2023
जब पेशाब में जलन हो, तो 20 ग्राम सत्यानाशी के पंचांग को 200 मिली पानी में भिगोकर इसका काढ़ा बनाएं और 10-20 मिली मात्रा में पीने से मूत्र विकारों में लाभ हो सकता है.
सत्यानाशी की जड़ को पानी में उबालकर पीने से सांस लेने में परेशानी या खांसी की समस्या वाले लोगों को राहत मिल सकती है.
पेट दर्द से परेशान होने पर सत्यानाशी के पीले दूध में घी मिलाकर पीने से राहत मिल सकती है.
सत्यानाशी के सभी भाग विषैले होते हैं और विषाक्तता का स्तर व्यक्ति की आकार, उम्र और शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है.
सत्यानाशी ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, और आप इसके पत्तों का उपयोग कर सकते हैं.
नपुंसकता कई कारणों से हो सकती है, और इसमें शुक्राणुओं की कमी एक मुख्य कारण हो सकता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, सत्यानाशी शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद कर सकता है.
सत्यानाशी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जिससे त्वचा पर बैक्टीरिया से संबंधित समस्याओं से निजात मिल सकती है.
पीलिया जैसी खतरनाक बीमारी के लिए सत्यानाशी का पौधा बहुत फायदेमंद हो सकता है. अगर किसी को पीलिया हो गया है, तो वह सत्यानाशी के तेल में गिलोय का रस मिलाकर इसका सेवन कर सकता है, जिससे उसे राहत मिल सकती है.