स्फटिक एक चमत्कारी पत्थर है. इस पत्थर को अंग्रेजी में रॉक क्रिस्टल कहते हैं. इसके अंग्रेजी नाम से आप समझ ही गए होंगे कि यह पत्थर पहाड़ों पर बर्फ के नीच दबा हुआ एक पारदर्शी स्टोन है.

स्फटिक को सितोपल और शिवप्रिय भी कहा जाता है. अगर आप इस पत्थर से बने मोतियों की माला का उपयोग करते हो तो आप पाएंगे की आपके भीतर की उष्मा को शांत करता है और वहीं यह शिव को बहुत प्रिय है.

स्फटिक कोई साधारण पत्थर नहीं है. इस पत्थर निर्माण सिलिकॉन और ऑक्सीजन के मिलने से होता है. देखने में यह एक कांच के समान और रंगहीन के साथ पारदर्शी के रूप में होता है. यह बर्फ के बीचों-बीच तैयार होता है.

स्फटिक को लेकर कई लोग भ्रम में होते है. कई लोग सोचते है कि यह एक कांच या फिटकरी का टुकड़ा है, लेकिन इसको तरासकर मोती या अन्य का रूप दिया जाता है. यह बहुत ही मनमोहक होता है.

स्फटिक के मोती को लोग माला के रूप में तैयार कर इस्तेमाल करते है. इसकी खास बात यह है कि स्फटिक को हाथ से छूने पर यह भारी और एकदम ठंडा होता है.

स्फटिक के बारे में बता दें कि यह पंचमुखी ब्रह्मा स्वरूप माना गया है. इसका संबंध शुक्र ग्रह से होता है. बता दें कि जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह का दोष होता है उनको स्फटिक का उपयोग करना चाहिए.

स्फटिक के बारे में बातें बनी हुई है कि अगर कोई इसका इस्तेमाल करता है तो उसके जीवन में सुख-समृद्धि आती है. मन शांत रहता है साथ ही शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है.

स्फटिक से भगवना शिव का शिवलिंग और श्रीयंत्र भी बनाया जाता है. इससे बनने वाले शिवलिंग को काफी शुभ माना जाता है. स्फटिक के मोती से बनने वाली माला को धारण करने से पहले कुंडली या राशि के बारे में ज्योतिष से राय जरूर लें क्योंकि यह कभी कभी नुकसान भी पहुंचाता है.

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