त्रिपुण्ड की तीनों रेखाओं में कौन-कौन से देवताओं का है वास

K Raj Mishra
Sep 18, 2023

कैसे लगाएं त्रिपुण्ड

बीच की तीन अंगुलियों से भस्म या सफेद चंदन लेकर ललाट (माथे) पर त्रिपुण्ड लगाना चाहिए.

त्रिपुण्ड लगाने का तरीका

माथे से लेकर नेत्रपर्यन्त और मस्तक से लेकर भ्रकुटी तक त्रिपुण्ड लगाया जाता है.

पहली रेखा के देवता

त्रिपुण्ड की प्रथम रेखा के नौ देवता हैं. इनमें भगवान शिव, गार्हपत्य अग्नि, प्रणव का प्रथम अक्षर अकार, रजोगुण, पृथ्वी, धर्म, क्रियाशक्ति, ऋग्वेद, और प्रात:कालीन हवन.

दूसरी रेखा के देवता

दूसरी रेखा के भी 9 देवता हैं. दक्षिणाग्नि, प्रणव का दूसरा अक्षर उकार, सत्वगुण, आकाश, अन्तरात्मा, इच्छाशक्ति, यजुर्वेद, मध्याह्न के हवन और महेश्वर.

तीसरी रेखा के देवता

तीसरी रेखा के भी 9 देवता होते हैं. आहवनीय अग्नि, प्रणव का तीसरा अक्षर मकार, तमोगुण, स्वर्गलोक, परमात्मा, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तीसरे हवन और शिव.

शरीर में कहां लगा सकते हैं त्रिपुंड

मस्तक, ललाट, कण्ठ, दोनों कंधों, दोनों भुजाओं, दोनों कोहनी, दोनों कलाई, हृदय, नाभि, दोनों पसलियों, और पृष्ठभाग में.

त्रिपुण्ड लगाने के पांच प्रमुख स्थान

शरीर में 5 जगहों पर त्रिपुण्ड जरूर लगाना चाहिए. ये स्थान हैं- मस्तक, दोनों भुजायें, हृदय और नाभि.

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