मनेर सूफी सर्किट के दो कब्रों की क्या है कहानी?

Shailendra
May 24, 2024

मध्ययुगीन काल

मध्ययुगीन काल के दौरान पाटलिपुत्र (पटना) की अध्यात्मवादी आभा ने कई सूफी संतों को आकर्षित किया.

मुस्लिम संस्कृति

बिहार में मनेर किसी वक्त मुस्लिम संस्कृति का सबसे पुराना केंद्र था.

ग्यारहवीं शताब्दी

ग्यारहवीं शताब्दी में यह सूफी फकीरों का आध्यात्मिक केंद्र बना रहा.

सूफी विचार

मनेर में पूरे हिंदुस्तान से सूफी संत आया करते थे. साथ ही सूफी विचार के प्रचार के लिए उपाय सोचा करते थे.

एक छोटा सा शहर

मनेर बिहार में एनएच 30 पर पटना से 25 किलोमीटर पश्चिम में स्थित एक छोटा सा शहर है.

मुस्लिम कब्रें

मनेर शरीफ में दो बहुत लोकप्रिय मुस्लिम कब्रें हैं. कब्रों में से एक सूफी संत मखदूम याह्या मनेरी की है, जिसे बारी दरगाह के रूप में जाना जाता है.

छोटी दरगाह

दूसरी कब्र मखदूम शाह दौलत का है, जिसे छोटी दरगाह कहा जाता है.

मखदूम याह्या मनेरी

मनेर के इतिहास में मखदूम याह्या मनेरी सबसे महत्वपूर्ण संतों में से एक था.

इब्राहीम खां ने करवाया था निर्माण

इसका निर्माण और विकास इब्राहीम खां ने करवाया था. जिसको दिलावर खां के नाम से भी जाना जाता था.

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