घोड़े को कई संस्कृतियों में शुभ और पवित्र माना गया है. उनकी मृत्यु के बाद उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करना आवश्यक समझा जाता है.
Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Dec 24, 2024
संरक्षण और परंपरा
पुराने समय से यह परंपरा रही है कि जो जीव मानव के लिए सेवा करते हैं, उनकी मृत्यु के बाद उन्हें सम्मान देना हमारी जिम्मेदारी है.
आध्यात्मिक दृष्टिकोण
कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घोड़े की आत्मा को शांति देने के लिए अंतिम संस्कार किया जाता है. इससे उनकी आत्मा को मोक्ष मिलता है.
पर्यावरण संरक्षण
घोड़े का शव खुले में छोड़ने से पर्यावरण को नुकसान हो सकता है. शव को उचित विधि से जलाने या दफनाने से यह समस्या नहीं होती.
संक्रमण से बचाव
घोड़े का शव खुले में रहने से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए शव का अंतिम संस्कार करना स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए जरूरी है.
भावनात्मक जुड़ाव
जो लोग घोड़ों की देखभाल करते हैं, उनके साथ भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं. इसलिए उनकी मृत्यु पर अंतिम संस्कार करना एक श्रद्धांजलि के रूप में देखा जाता है.
पारंपरिक रीति-रिवाज
कुछ संस्कृतियों में विशेष पूजा और अनुष्ठान करके घोड़े का अंतिम संस्कार किया जाता है. इसे शुभ माना जाता है.
जमीन की उर्वरता
घोड़े को दफनाने से उनकी देह जमीन की उर्वरता बढ़ाने में सहायक होती है. यह प्रकृति को कुछ वापस देने का तरीका भी है.
शाही सम्मान
प्राचीन राजाओं के समय में युद्ध में मारे गए घोड़ों का अंतिम संस्कार शाही सम्मान के साथ किया जाता था.
जिम्मेदारी का संदेश
यह परंपरा हमें जीवों के प्रति अपनी जिम्मेदारी और प्रेम का संदेश देती है.