Maa Durga ki Sawari: मां दुर्गा की सवारी शेर ही क्यों? चूहा, मोर या उल्लू क्यों नहीं जाने इसके पीछे की कहानी
Nishant Bharti
Oct 05, 2024
नवरात्रि
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है.
माता के अलग अलग रूप
माता के सभी रूपों की अपनी ही महिमा है. साथ ही माता के अलग अलग रूपों के अलग वाहन है.
आदिशक्ति दुर्गा
मगर अपने मूल रूप में मां आदिशक्ति दुर्गा हमेशा शेर को ही अपनी सवारी बनाती हैं.
शेर की सवारी
ऐसे क्या आपको पता है कि माता शेर को ही अपनी सवारी क्यों बनाती है.
कैलाश पर्वत
पौराणिक कथाओं की मानें तो एक दिन भगवान शिव ने हंसी मजाक में माता पार्वती को काली कह दिया. जिससे नाराज होकर माता कैलाश पर्वत को छोड़कर तपस्या करने चली गईं. माता जब तपस्या में लीन थी तब एक शेर वहीं बैठ उनका इंतजार करने लगा.
शेर का इंतजार
माता पार्वती को अपना भोजन बनाने के लिए शेर उनकी तपस्या पूरी होने तक इंतजार करते रहा. इस दौरान शेर काफी लंबे समय तक वहीं बैठा इंतजार करते रहा.
माता पार्वती की तपस्या
माता पार्वती की जब तपस्या पूरी हुई, तो उन्होंने देखा कि शेर अभी भी भूखे प्यासे इतने दिनों से वहीं पर बैठा था. लंबे समय तक ध्यान करने के बाद माता ने भूखे-प्यासे वहां बैठे शेर को इसकी पूजा और तपस्या माना.
शेर की तपस्या
माता ने शेर की इस कठिन तपस्या को देखकर उसे अपनी सेवा में रख लिया और उसे अपना वाहन बना लिया.
शेरोवाली माता
शेर की सवारी करने के कारण माता को शेरोवाली भी कहा जाता है.