कनॉट प्लेस

राजधानी दिल्ली के केंद्र में स्थित कनॉट प्लेस जॉर्जियाई वास्तुकला की अनूठी सुंदरता को दर्शाता है, यह भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे महंगे कमर्शियल मार्केट में से एक है.

Divya Agnihotri
Sep 09, 2023

कनॉट प्‍लेस का निर्माण

कनॉट प्‍लेस का निर्माण साल 1929 में ब्रिटिश शासन के दौरान किया गया, ये 5 साल में बनकर तैयार हुआ था.

कनॉट प्‍लेस का नाम

कनॉट प्‍लेस का नाम ब्रिटिश राजघराने के सदस्‍य ड्यूक ऑफ कनॉट और स्ट्रैथर्न के नाम पर इसका नाम रखा गया था.

कनॉट प्‍लेस का डिजाइन

कनॉट प्लेस का डिजाइन ब्रिटिश आर्किटेक्ट रॉबर्ट टोर रसेल ने डब्‍ल्यू. एच. निकोलस ने तैयार किया था.

महंगे कमर्शियल मार्केट

कनॉट प्‍लेस भारत ही नहीं दुनिया का चौथा सबसे महंगा कमर्शियल मार्केट है, यहां का औसत किराया 9,000 रुपये प्रति वर्ग फुट प्रति माह से भी अधिक है.

कनॉट प्‍लेस का मालिक

कनॉट प्लेस में वैसे तो कई मालिक हैं, लेकिन संपत्‍ति के हिसाब से देखें तो इस जगह की असली मालिक भारत सरकार है.

कनॉट प्‍लेस का किराया

पुराने दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम, 1958 के बाद, सीपी में कई संपत्तियों का मासिक किराया 3 हजार रुपये से भी कम है. नियम के अनुसार, आजादी से पहले किराए पर दी गई संपत्तियों में आधार मूल्य से हर साल महज 10℅ की वृद्धि होनी है.

किरायेदार कमा रहे लाखों रुपये

कनॉट प्‍लेस में स्टारबक्स, पिज्जा हट, बैंकों को दफ्तर सहित कई ऑफिस हैं, जहां से हर महीने लाखों रुपये का किराया आता है. लेकिन ये किराया किरायेदारों द्वारा वसूला जा रहा है.

रियल मालिक

दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम के तहत किराए में महज 10℅ की वृद्धि की जा सकती है, जिसकी वजह से असली मालिकों को किराए के रूप में कुछ हजार रुपये ही मिल रहे हैं, लेकिन किराएदार यहां से करोड़ों कमा रहे हैं.

लाखों रुपये है किराया

अगर आप इस इलाके में 12*12 की दुकान भी लेना चाहते हैं तो आपको इसके लिए लाखों रुपये चुकाने पड़ेंगे, यहां का किराया हर दिन के साथ तेजी से बढ़ रहा है.

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