ज्योतिष की मानें तो शनि हर राशि पर भ्रमण के दौरान एक विशेष प्रकार का प्रभाव डालते है.
जब यह प्रभाव किसी भी राशि के ऊपर विशेष स्थितियों के कारण पड़ता है. उसे साढ़ेसाती कहते है.
ढाई ढाई वर्षों का तीन चरण साढ़ेसात साल तक साढ़ेसाती के रूप में चलता है.
ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि साढ़ेसाती सिर्फ बुरा फल ही देती है. परंतु ऐसा बिल्कुल नहीं है. यह सब आपकी कुंडली में शनि की स्थिति से पता चलता है.
शनि की साढ़ेसाती शुभ परिणाम भी देती है जैसे करियर में सफलता मिलना. विदेश यात्रा का योग बनाना. धन की प्राप्ति होना जैसे शुभ परिणाम देती है.
साढेसाती के अशुभ परिणाम जैसे स्वास्थ्य का खराब होना. मानसिक स्थिति पर नकारात्मक असर डालना. सफलता के रास्ते बंद हो जाना आदि जैसे परिणाम भुगतने पड़ सकते है.
रोज सुबह उठकर साईं शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: का जाप करें. हर शनिवार को पीपल के नीचे सरसों से भरा तेल का दीपक जलाएं.
साथ हर शनिवार को दीपक जलाने के बाद हनुमान चालीसा का पाठ भी करें. साथ में भोजन में सरसों का तेल, काले चने और गुड़ का प्रयोग करें.
बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में लोहे का छल्ला धारण करें. अगर साढ़ेसाती का प्रकोप ज्यादा हो तो हर शनिवार शाम के समय दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ अवश्य करें.
शनिदेव की पूजा हमेशा सूर्योदय से पहले या फिर सूर्योदय के बाद ही करनी चाहिए और पूजा के समय हमेशा साफ सुथरे कपड़े ही पहनने चाहिए. शनिदेव की पूजा करते समय हमेशा सरसो का तेल या फिर तिल के तेल का ही इस्तेमाल करना चाहिए.