शौर्य और सुंदरता का संगम है बुंदेलखंड का ये किला, पर्यटकों को करता है आकर्षित

टीकमगढ़ का गौरव

टीकमगढ़, वीरता और नवीन सोच की धरती, भव्य किलों के लिए भी प्रसिद्ध है.

बल्देवगढ़: सुरक्षा का प्रतीक

ओरछा रियासत का सुरक्षित दुर्ग, बल्देवगढ़, युद्ध सामग्री भंडारण और सैन्य अड्डा था.

मराठों से बचाव और नया ठिकाना

1783 में मराठों से बचने के लिए, राजधानी टीकमगढ़ लाई गई और 55-70 एकड़ में किला बना.

किले के तीन द्वार

बल्देवगढ़ के किले में तीन दरवाजे हैं: किला दरवाजा, आम जनता का द्वार, और उत्तर द्वार.

बुंदेलखंड का विशाल गिरी दुर्ग

यह बुंदेलखंड के बड़े किलों में गिना जाता है, जो सूर्य परकोटे से सुरक्षित था.

जलदुर्ग: तीन तालाबों का घेरा

तीन तालाबों - ग्वालसागर, जुगलसागर और धर्मसागर से घिरा, यह जलदुर्ग भी था.

भयानक गर्भ गिरावन तोप

इस किले में कई तोपें तैनात थीं, लेकिन उनमें से एक को भवानी के नाम से जाना जाता था. ऐसा कहा जाता है कि भवानी शंकर तोप को गर्भ गिरावन तोप के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि प्रसिद्ध गर्भ गिरावन तोप की भयानक गर्जना से गर्भपात हो जाता था.

इतिहास और सौंदर्य का संगम

किले में आल्हा मुंडा, कुश्ती स्थल, ऐतिहासिक तालाब, शिव मंदिर, बावड़ी और रानीवास स्थल हैं.

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