भगवान शिव को समर्पित भोरमदेव मंदिर! कवर्धा से चंद KM दूर है छत्तीसगढ़ का खजुराहो
Abhay Pandey
Jul 15, 2024
ऐतिहासिक महत्व
भोरमदेव मंदिर, जिसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है. 11वीं शताब्दी के अंत में बनाया गया था. मैकल पर्वत श्रृंखला में छपरी गांव के पास स्थित, यह रायपुर से 120 किमी और कवर्धा जिला मुख्यालय से 17 किमी दूर है.
वास्तुकला चमत्कार
यह मंदिर वैष्णव और जैन मूर्तियों से सुसज्जित है. ये मूर्तियां तत्कालीन राजाओं द्वारा सभी धर्मों के उदार संरक्षण का संकेत देती हैं.
सांस्कृतिक महत्व
गोंड जाति द्वारा पूजे जाने वाले भगवान शिव के एक रूप भोरमदेव के नाम पर, इस मंदिर का निर्माण श्री लक्ष्मण देव राय ने करवाया था. इस ऐतिहासिक संबंध का प्रमाण दाढ़ी वाले योगी की मूर्ति पर एक शिलालेख से मिलता है.
शिलालेख
एक प्रतिमा पर कलचुरी संवत 840 का एक शिलालेख इस बात की पुष्टि करता है कि मंदिर का निर्माण छठे पुनि नागवंशी शासक श्री गोपालदेव के शासनकाल में हुआ था.
संरचनात्मक विवरण
मंदिर में 16 स्तंभों वाला एक मंडप और तीन प्रवेश द्वार हैं: मुख्य द्वार पूर्व की ओर, दूसरा दक्षिण की ओर और तीसरा गर्भगृह की ओर जाता है.
कलात्मक नक्काशी
कोणार्क और खजुराहो मंदिरों के सूर्य मंदिर की तरह, भोरमदेव मंदिर में सामाजिक और घरेलू जीवन के कलात्मक चित्रण उकेरे गए हैं, जिनमें कई कामुक दृश्य शामिल हैं.
धार्मिक महत्व
मंदिर में साल भर श्रद्धालु आते हैं, सावन के महीने में संख्या सबसे ज़्यादा होती है जब कई लोग नर्मदा जल से जलाभिषेक करते हैं.
उत्सव की तैयारियां
सावन के दौरान, मंदिर समिति फूलों और पूजा सामग्री बेचने वाली दुकानों से क्षेत्र को सजाती है. छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से लोग यहां आते हैं और एक पुलिस चौकी सुरक्षा सुनिश्चित करती है.