ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह है बस्तर का ये राजमहल

Abhinaw Tripathi
Dec 27, 2024

Bastar Historical Palace

छत्तीसगढ़ में कई ऐसे एतिहासिक प्लेस हैं जिसे देखने के लिए दूर- दराज से लोग आते हैं. ऐसे ही हम आपको बताने जा रहे हैं बस्तर के एक ऐसे महल के बारे में जिसकी आज भी काफी ज्यादा चर्चा होती है, आइए जानते हैं.

चर्चित राजमहल

बस्तर रियासत का चर्चित राजमहल करीब 138 साल पुराना महल आज भी आदिवासियों के लिए देवता के घर से कम नहीं है.

मूक गवाह

राजमहल को बस्तर में काकतीय राजाओं के 694 वर्ष पुराने इतिहास का मूक गवाह भी माना जाता है.

महाराजा भैरमदेव

बस्तर रियासत का आधिपत्य दण्डकारण्य का पठार में रहा है, बस्तर में 1852 से 1891 तक महाराजा भैरमदेव का शासन था.

घूमने- फिरने

ऐसी जानकारी मिलती है कि 1890 के पहले राजमहल का निर्माण करवाया गया था, इसमें 50 से अधिक कमरे, दरबार हॉल और तीन सभागार हैं. आप घूमने- फिरने के शौकीन हैं तो यहां जा सकते हैं

बनाने में समय

139 साल पुराने राजमहल को बनाने में करीब दस वर्षों का समय लगा था, इसे बनाने के लिए ओडिशा के कुशल कारीगरों को बुलाया गया था

पुराने शिलालेख

महल की दीवारों में पुराने शिलालेखों को सुरक्षित किया गया है, दरबार हाल और सभागारों में बस्तर रियासत के राजा-रानियों की दर्जनों पुरानी और ऐतिहासिक तस्वीरें हैं.

महाराजा प्रवीरचन्द्र भंजदेव

साल 1966 में महाराजा साहब प्रवीरचन्द्र भंजदेव की शहादत के यहां के शस्त्रागार के अधिकांश आयुधों को जब्त कर ट्रेजरी में रखवा दिया गया है, करीब 30 पुरानी बंदूकों को जिला संग्रहालय को दिया गया है.

बस्तर रियासत का विलय

बस्तर रियासत का विलय जब हुआ तो उन दिनों बस्तर के महाराजा प्रवीरचन्द्र भंजदेव थे, जो धार्मिक प्रवृत्ति के थे और आदिवासियों में काफी लोकप्रिय रहे, आदिवासी उन्हें अपना भगवान मानते थे.

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