Bastar के जंगलों में दशकों तक धड़कता रहा पेस्टनजी का दिल; काफी दिलचस्प है इतिहास

Abhinaw Tripathi
Jul 06, 2024

History of Pestonji Naoroji

छत्तीसगढ़ के बस्तर के जंगल अपनी रोमांचकारी जगहों के लिए काफी ज्यादा फेमस हैं. यहां से जुड़े कई किस्से आज भी प्रसिद्ध हैं. ऐसे ही हम आपको एक किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका इतिहास काफी ज्यादा दिलचस्प है.

पेस्टनजी नौरोजी

ये कहानी साल 1948 के दौरान महाराजा प्रवीर के मेहमान बन कर मुम्बई से बस्तर आये पारसी व्यापारी पेस्टनजी नौरोजी की है.

शिकार में रुचि

पेस्टनजी ने जंगली भैंसे के शिकार में काफी ज्यादा रुचि थी. यहां पर आने के बाद भी रुचि दिखाई तो उन्हें महाराज ने बस्तर के कुटरू के जंगलों में शिकार के लिए भेज दिया.

उपलब्धि

उस समय बस्तर में वन भैसों का शिकार करना बड़ी उपलब्धि की तरह माना जाता था, नौरोजी भी काफी ज्यादा उत्साहित थे और उसकी खाल को लेकर जाने की बात कहते थे.

बनाया मचान

पेस्टनजी नौरोजी एक अर्दली के साथ उस जगह पर मचान बना कर शिकार करने के लिए तैयार थे. उसी दौरान वहां पर भैंसा आता दिखाई दिया.

वन भैंसा

वन भैंसा उनकी तरफ आता दिखाई दिया उन्होंने उस पर गोली चला दी, गोली लगते ही वन भैसा दर्द के मारे तड़प उठा. पेस्टनजी ने फिर नीचे आकर गोली मारी लेकिन भैंसे ने उन्हें दबोच लिया.

हुई मौत

भैंसा पेस्टनजी नौरोजी को तब तक मारता रहा जब तक उनकी मौत नहीं हो गई और फिर दोनों की एक साथ मौत हो गई.

बनवाया मकबरा

पेस्टनजी की मौत की खबर से उनकी पत्नी जो कि पारसी धर्म की थी उन्होंने कुटरू आकर पेस्टनजी का मकबरा वहीं बनवाया जिस जगह पर उनकी मौत हुई थी.

जलता रहा दीपक

पेस्टनजी की पत्नी के विषय में कुटरू के लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने पति के मक़बरे की देख भाल के लिए वहाँ के लोगों को पैसे भी दिए और दीपक जलाने के लिए पैसे भी भेजती रही, ये सिलसिला कई वर्षों तक चलता रहा.

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