अजीबो- गरीब है छत्तीसगढ़ की इस जनजाति की परंपरा, जानकर चौंक जाएंगे आप

Abhinaw Tripathi
Jul 08, 2024

Ghotul Tradition

छत्तीसगढ़ अपने अजीबो- गरीब परंपरा के लिए जाना जाता है. यहां पर कई ऐसी परंपराएं हैं जो दूसरे राज्यों में नहीं है. ऐसी ही हम एक परंपरा के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.

शादी के पहले

छत्तीसगढ़ में एक ऐसी परंपरा है जहां पर शादी के पहले 7 दिन तक लड़का- लड़की दोनों साथ रहते हैं.

जनजाति

यह प्रथा मुख्यत बस्तर के मुरिया और माड़िया जनजाति के आदिवासियों में प्रचलित है. इस प्रथा का नाम है घोटुल प्रथा है.

गांव के किनारे

घोटुल उस स्थान को कहा जाता है, जहां आदिवासी उत्सव मनाते हैं. घोटुल को गांव के किनारे बनाया जाता है. घोटु मिट्टी-लकड़ी आदि से बनी एक बड़ी-सी कुटिया को कहते हैं.

कहा जाता है ये

घोटुल में भाग लेने वाली युवतियों को मोतियारी एवं लड़कों को छेलिक तथा उनके प्रमुख को बेलोसा एवं सरदार कहा जाता है.

आदिवासी समुदाय

इसमें आदिवासी समुदाय की युवक-युवतियां को, बुजुर्ग व्यक्ति की देख-रेख में, आपस में मिलने-जुलने, जानने-समझने का अवसर दिया जाता है.

घोटुल

कई इलाकों में लड़के-लड़कियां घोटुल में ही सोते हैं तो कुछ में दिनभर साथ रहने के बाद वो अपने अपने घरों में सोने जाते हैं.

आपस में चर्चा

घोटुल के आस- पास शाम को लड़के-लड़कियां यहां धीरे-धीरे ग्रुप में गाते हुए ही घोटुल तक पहुंचते हैं. इस दौरान विवाहित पुरुष ढोल बजाते हैं और युवा डांस और नृत्य करते हैं. इसके बाद आपस में चर्चा करते हैं.

निश्चित हैं साल

घोटुल प्रथा में युवक और युवती को अपना साथी चुनने के लिए 7 दिन दिए जाते हैं. इसमें लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निश्चित की गई है.

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