मध्य प्रदेश के इंदौर के पास धार जिला का धार का किला, लाल बलुआ पत्थर से बना एक विशाल आयताकार किला है, जो अपनी भव्यता और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है.
ऐतिहासिक महत्व
1344 ई. में निर्मित, इस किले का निर्माण दिल्ली के सुल्तान महमूद तुगलक ने करवाया था. 15वीं और 16वीं शताब्दी के भवनों के अवशेष आज भी किले में देखे जा सकते हैं.
पेशवाओं का गौरव
पेशवा बाजीराव द्वितीय का जन्म 1775 ई. में इसी किले में हुआ था.
स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र
1857 के विद्रोह के दौरान, रोहिला नेताओं ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ इस किले पर कब्जा कर लिया था. छह दिनों की कड़ी लड़ाई के बाद, ब्रिटिश सेना ने किले को वापस अपने कब्जे में ले लिया था.
स्थापत्य कला का खजाना
किले में कई भव्य दरवाजे, महल, मस्जिदें और स्मारक हैं. तीसरे दरवाजे पर औरंगजेब के शासनकाल और शाहजहां के सौतेले भाई अशर बेग के प्रशासन काल का एक शिलालेख भी मौजूद है.
पर्यटन स्थल
आज यह किला एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जहां पर्यटक अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व का अनुभव कर सकते हैं.
संस्कृति और विरासत का प्रतीक
यह किला भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत का प्रतीक है.