कैसे मिला लंकापति को 'रावण' नाम

रावण भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है.

पौराणिक कथा के अनुसार, रावण एक बार भगवान शिव को लंका ले जाने आया था, लेकिन भगवान शिव ने जाने से मना कर दिया था.

तब रावण ने सोचा की वह कैलाश पर्वत को उठा कर लंका ले जाएगा.

दस भुजाओं की ताकत से रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने लगा.

इसे क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने पैर के एक अंगूठे को कैलाश पर रखा जिसे पर्वत भारी हो गया.

इसके कारण रावण पर्वत के नीचे दब गया और जोर-जोर से चीखने लगा.

तब भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण शिव तांडव स्तोत्र की रचना की.

जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रावण को उसकी पीड़ा से मुक्ति थी और उसका नाम रावण रखा.

रावण के नाम में आने शब्द 'रव' जिसका अर्थ कोलाहल या शोर होता है, इसलिए भगवान शिव ने रावण नाम रखा.

डिस्क्लेमर: ये जानकारी सामान्य और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है.

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