इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो... पढ़ें मिर्जा गालिब के चुनिंदा शेर

Ranjana Kahar
Oct 27, 2024

इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब', कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे.

हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन, दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है.

बिजली इक कौंध गयी आँखों के आगे तो क्या, बात करते कि मैं लब तश्न-ए-तक़रीर भी था.

हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है,वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है, तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है.

वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं! कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं.

तुम न आए तो क्या सहर न हुई, हाँ मगर चैन से बसर न हुई, मेरा नाला सुना ज़माने ने, एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई.

जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा, कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है.

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