संजीव खन्ना बने 51वें चीफ जस्टिस; एमपी से है ये कनेक्शन

Abhinaw Tripathi
Nov 11, 2024

Chief Justice of India

जस्टिस संजीव खन्ना ने देश के 51वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली, जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल काफी ज्यादा काबिले तारीफ रहा है. जिसके बाद उन्हें ये जिम्मेदारी सौंपी गई है, चीफ जस्टिस का आपात काल से भी कनेक्शन रहा है. आइए जानते हैं.

संजीव खन्ना

देश के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का आपात काल से भी कनेक्शन रहा है. ये कनेक्शन CJI के पद से जुड़ा हुआ है.

हंस राज खन्ना

दरअसल 48 वर्ष पहले 1976 में इंदिरा गांधी सरकार ने जस्टिस संजीव खन्ना के चाचा जस्टिस हंस राज खन्ना को मुख्य न्यायाधीश नहीं बनाया था.

15वां मुख्य न्यायाधीश

उनके साथ अन्याय करते हुए उनके जूनियर जस्टिस मिर्जा हमीदुल्लाह बेग (जस्टिस एमएच बेग) को देश का 15वां मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया था.

ऐतिहासिक फैसला

दरअसल, जस्टिस एचआर खन्ना ने आपातकाल के दौरान इंदिरा सरकार के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला दिया था.

आपातकाल

इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी, इंदिरा ने तब संविधान के अनुच्छेद 359(1) का इस्तेमाल करते हुए नागरिकों के सारे अधिकार छीन लिए थे.

MISA

हजारों लोगों को आंतरिक सुरक्षा प्रबंधन कानून (MISA) के तहत जेल में डाल दिया गया था, तब विभिन्न अदालतों में मुकदमे दर्ज होने लगे थे और अलग-अलग कोर्ट से अलग-अलग फैसले आने लगे थे.

रिहा करना

कई उच्च न्यायालयों ने रिट याचिकाओं के जरिए मीसा के तहत बंद कैदियों को रिहा करना शुरू कर दिया.

बंदी प्रत्यक्षीकरण

इस दौरान एक महत्वपूर्ण मामला सामने आया-एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला का जिसे बंदी प्रत्यक्षीकरण केस 1976 (Habeas Corpus Case 1976) के नाम से भी जाना जाता है.

मील का पत्थर

यह केस भारतीय न्यायिक इतिहास के मील का पत्थर साबित हुआ, इस फैसले के बाद इंदिरा सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई.

संवैधानिक पीठ

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए पांच जजों की एक संवैधानिक पीठ बनाई, इस पीठ में तत्कालीन चीफ जस्टिस एएन रे सहित कई जज थे.

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