नौजवानों में जोश भर देंगे दिनकर जी के ये विचार; जानें

Abhinaw Tripathi
Sep 22, 2024

अस्तमान सूर्य होने को मत रुको, चीजें तुम्हें छोड़ने लगें, उससे पहले तुम्हीं उन्हें छोड़ दो

सतत चिंताशील व्यक्ति का कोई मित्र नहीं बनता.

अभिनंदन लेने से मना करना, उसे दोबारा मांगने की तैयारी है.

स्वार्थ हर तरह की भाषा बोलता है, हर तरह की भूमिका अदा करता है, यहां तक कि नि:स्वार्थता की भाषा भी नहीं छोड़ता.

विद्वानों और लेखकों के सामने सरलता सबसे बड़ी समस्या होती है.

जैसे सभी नदियां समुद्र में मिलती हैं, उसी प्रकार सभी गुण अंतत: स्वार्थ में विलीन हो जाते हैं.

जब गुनाह हमारा त्याग कर देते हैं, हम फ़क्र से कहते हैं हमने गुनाहों को छोड़ दिया.

सौंदर्य को देखकर पुरुष विचलित हो जाता है, नारी भी होती होगी, फिर भी सत्य यह है कि सौंदर्य आनंद नहीं समाधि है.

मित्रों का अविश्वास करना बुरा है, उनसे छला जाना कम बुरा है

VIEW ALL

Read Next Story