'रात भी नींद भी कहानी भी'...पढ़िए फिराक गोरखपुरी के चुनिंदा शेर

Harsh Katare
Nov 17, 2024

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं

हम से क्या हो सका मोहब्बत में ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की

आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़' जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए

रात भी नींद भी कहानी भी हाए क्या चीज़ है जवानी भी

अब तो उन की याद भी आती नहीं कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ

इसी खंडर में कहीं कुछ दिए हैं टूटे हुए इन्हीं से काम चलाओ बड़ी उदास है रात

ज़ब्त कीजे तो दिल है अँगारा और अगर रोइए तो पानी है

इक उम्र कट गई है तिरे इंतिज़ार में ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात

सुनते हैं इश्क़ नाम के गुज़रे हैं इक बुज़ुर्ग हम लोग भी फ़क़ीर उसी सिलसिले के हैं

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